किसी ने ठीक ही कहा है- ‘समय तथा समुद्र की लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करतीं।’ इस संसार में सबसे अमूल्य वस्तु समय है। जो इसे नष्ट करता है, वह स्वयं नष्ट हो जाता है। इस नश्वर संसार में सभी चीजों को घटाया-बढ़ाया जा सकता है, पर समय को नहीं। समय किसी के अधीन नहीं रहता। न रुकता है, न ही किसी की प्रतीक्षा करता है। कबीर के अनुसार, जो लोग दिन खाने-पीने तथा रात सोकर गुजार देते हैं, वे अपने हीरे जैसे अनमोल समय को व्यर्थ ही खो देते हैं। ऐसे लोगों को उस समय पछताना पड़ता है, जब समय उनके हाथ से निकल जाता हैं। ऐसी स्थिति के लिए ही यह कहावत है- ‘अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत’।
इतिहास साक्षी है कि जिसने समय के महत्त्व को पहचाना और उसका सदुपयोग किया, वह उन्नति की सीढ़ियों पर चढ़ता गया। और जिसने समय का तिरस्कार किया, समय ने उसे बर्बाद कर दिया। प्रकृति हमें एक बार मौका जरूर देती है और दूसरा मौका देने से पूर्व पहला वापस ले लेता है। विद्यार्थी जीवन में समय का सर्वाधिक महत्त्व है। समय का सदुपयोग करने वाले विद्यार्थी भावी जीवन में सफल होते हैं और एक सफल नागरिक बनते हैं। इसके विपरीत समय को व्यर्थ बातों में गंवाने वालो विद्यार्थी विफलता का मुंह देखते हैं। विद्यार्थी को अपना समय आमोद-प्रमोद, फैशन और अनावश्यक बातों में नहीं खोना चाहिए, बल्कि अध्यवसायी बन कर ज्ञानार्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। समय का सदुपयोग व्यक्तित्व निर्माण की आधारशिला है। समय के महत्व को न समझने वाले वास्तव में नाकाम लोग साबित होते हैं। दिन और पल हमारे मित्रों के वेश में हमारे सामने आते हैं और प्रकृति की अमूल्य भेंट लाते हैं। अगर हम उनका सद्पयोग नहीं करेंगे तो वे चुपचाप लौट जाएंगे।
-पलक त्रिवेदी, गिरजाबाग, उन्नाव, उप्र