वर्तमान में जारी इक्कीसवीं सदी का दौर हर अगले रोज नया मोड़ ले रहा है। आज के दौर में व्यक्ति सिर्फ समय को ही नहीं, अपने आप को भी मात दे रहा है। रोजगार प्रदान करने वाले शख्स सिर्फ और सिर्फ अपने तक ही सीमित रखते हैं। लाचार और बेरोजगार लोगों के कारण समाज के सामने दिखाई पड़ने वाले सिर्फ दो रास्ते बचे हुए दिखाई देते हैं। लेकिन जब इंसान के भीतर लगन, मेहनत, दृढ़ निश्चय, आत्मविश्वास मौजूद हो तो वह खुद को आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता निकाल लेता है। इसलिए युवाओं को निराश होने से मीलों दूर रहने की जरूरत है। सत्ता और बाजार उनका रास्ता रोकेगी, उन्हें मुश्किल में डालेगी, लेकिन उन्हें साहस के साथ मैदान में उतरना है। एक नए रास्ते की खोज को जारी रखना होगा।
’सृष्टि मौर्य, फरीदाबाद, हरियाणा
नए रास्ते की खोज
रोजगार प्रदान करने वाले शख्स सिर्फ और सिर्फ अपने तक ही सीमित रखते हैं। लाचार और बेरोजगार लोगों के कारण समाज के सामने दिखाई पड़ने वाले सिर्फ दो रास्ते बचे हुए दिखाई देते हैं।
Written by जनसत्ता

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First published on: 20-03-2021 at 01:21 IST