जब हम ऐसी खबरें पढ़ते हैं कि पूरे देश में सैकड़ों डॉक्टरों की इस कोरोना महामारी की लहर में मौत हो गई है तो मन सिहर उठता है। कुछ डॉक्टर अपने हस्पताल में और कुछ डॉक्टर की बैड, ऑक्सीजन और वेंटीलेटर के न मिलने पर दूसरी जगहों पर जान गंवा बैठे। कुछ डॉक्टरों के पास अस्पताल या नर्सिंग होम का बिल जमा कराने के पैसे तक नहीं थे। सिर्फ दिल्ली में ही कोरोना के कारण सौ से ज्यादा डॉक्टरों की जान चली गई। इतने डॉक्टरों के इस महामारी में जाने से भारी आर्थिक क्षति तो हुईं ही है, साथ-साथ कितने स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञ अस्पतालों को सूना कर गए और आने वाले दिनों में इसके असर से लाखों लोग इलाज से वंचित रह जाएंगे। यहां यह कहना भी अनुचित नहीं होगा कि टीकाकरण में केवल तीन फीसद डॉक्टर ही आगे आए और उन्होंने टीका लगवाने में हिस्सा लिया डॉक्टर, पैरामेडिकल कर्मचारी, नर्सें, तकनीशियन आदि कोरोना योद्धाओं को टीकाकरण में आगे बढ़ कर इस महाभियान को तेजी से बढ़ाया जाना चाहिए था। पर कुछ वजहों से कहीं न कहीं कुछ हिचकिचाहट उन पर हावी रही। सरकार को बिना समय गंवाए दुष्परिणामों के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित टीका उपलब्ध करवाना चाहिए और सभी कोरोना योद्धाओ का टीकाकरण प्राथमिकता के तौर पर करना चाहिए।
’आरके शर्मा, रोहिणी, दिल्ली

मुसीबत का घेरा
इस महामारी के दौर में जिन लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है उन्हें और वंचित तबकों के लोगों को भी राहत प्रदान की जाए। कोरोनाकाल और पूर्णबंदी के चलते नाई, कुम्हार, सुतार, लुहार, टेलर, वेल्डर, पलंबर, इलेक्ट्रिशियन, ब्युटीशियन, राजमिस्त्री, हाट बाजार और फुटपाथ पर व्यापार करने वाले, ठेले और गुमठियों से चाय विक्रेता, घरेलू नौकर निजी विद्यालयों के कर्मी और दिहाड़ी पर काम करने वाले श्रमिक आदि लोगों के पेशे और धंधे लंबे समय तक ठप्प रहने से इनका जीवन-यापन मुसीबतों से घिर चुका है। बहुत मुश्किल में घिर चुके ऐसे लोगों के पेशे और धंधे को पुनर्जीवित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें शासन को आवश्यक आर्थिक राशि स्वीकृति प्रदान कर राहत देना चाहिए।
’बीएल शर्मा ‘अकिंचन’, उज्जैन, मप्र