अमेजन दुनिया का सबसे बड़ा रेन फॉरेस्ट यानी वर्षावन है। जैव-विविधताओं या बायोडायवर्सिटी का भंडार! यह जंगल 2.1 मिलियन वर्गमील में फैला हुआ है। कहा जाता है कि अगर यह कोई देश होता तो दुनिया का नौवां सबसे बड़ा देश होता। दुनिया का बीस फीसद आक्सीजन यहीं से आता है। इसलिए इसे ‘पृथ्वी के फेफड़े’, ‘कार्बन सिंक’ के नाम से भी जाना जाता हैं। कार्बन सिंक के रूप में अमेजन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
वे वातावरण से भारी मात्रा में गर्मी पैदा करने वाले कार्बन डाइआक्साइड को सोख कर पृथ्वी को ठंडा रखने में मदद करते हैं। लेकिन अब यहां खतरा पैदा हो रहा है। वैज्ञानिक पत्रिका ‘नेचर में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि कार्बन सिंक में गिरावट हो रही है। अमेजन का यह जंगल जितना कार्बन डाइआक्साइड सोखता करता है, उससे ज्यादा कार्बन डाइआक्साइड छोड़ने लगा हैं! जाहिर है, सब इंसानों की करामात हैं!
हर साल इसके वनस्पति वायुमंडल से अरबों टन गर्मी पैदा करने वाले कार्बन डाइआक्साइड खींचते हैं, जिससे साफ हवा मिल पाती है। इसके विशाल पेड़ कोनोपी धरती के लिए ‘एयर कंडीशनर’ के रूप में कार्य करते हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों से मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वारूप वर्षावन में जबर्दस्त और विघटनकारी परिवर्तन आया है। इसने अपना सत्रह फीसद हिस्सा खो दिया है, जिसमें से अधिकांश को खेती और पशुधन के लिए कृषि भूमि में बदल दिया गया है। इस वजह से तापमान बढ़ने लगा और वाष्पीकरण कम हो गया।
इसके अलावा, जलचक्र में असंतुलन हो गया, जिसका सीधा परिणाम है कम वर्षा! पर्यावरण संगठनों और शोधकर्ताओं के अनुसार, जंगल को ज्यादा नुकसान इंसानों की वजह से पहुंच रहा है। वनों की कटाई ने भूमि को भी आग की चपेट में ले लिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्षेत्र अब की तुलना में शायद ही कभी ऐसा सूखा रहा हो और इससे एक विनाशकारी आग लगने का खतरा फिर मंडराने लगा है। धरती के फेफड़ों को बचाना अब अत्यंत जरूरी है, अन्यथा हमारा अंत भी करीब आता जाएगा!
’विभुति बुपक्या, आष्टा, मप्र