पश्चिमी बंगाल में इस वर्ष का चुनाव हिंसक वारदात के बीच चल रहा है। चुनाव आयोग की सतर्कता की बाद भी बंगाल में निर्दोष मतदाताओं के खून से तारीख लिखी जा रही है। इस बार भी हिंसक झड़पों में मतदाता घायल हुए। पार्टियों की ओर से प्रचारित लालच में मतदाता पिसता चला जा रहा है। दोनों पक्ष एक दूसरे पर हमला करने के आरोप लगा रहे हैं।

हिंसक टकराव से इतर देखें तो इस बार बंगाल का चुनाव रस्साकशी से भरा है। आगामी दो चरण का मतदान बाकी है। दो मई को चुनाव परिणाम घोषित होंगे। सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान खड़े हुए हैं। उसके बाद भी हिंसक झड़पों से पुराने दौर के हिंसक चुनावों की याद ताजा हो रही है। सवाल है कि अगर इस तरह सब कुछ चलता रहा तो सरकार तो बन जाएगी, लेकिन लोकतंत्र कितना बचेगा!
’कांतिलाल मांडोत, सूरत, गुजरात