कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में जिलाधिकारी ने एक युवक को थप्पड़ जड़ दिया और उसका मोबाइल पटक दिया। साथ खड़े पुलिस वालों से डंडे से पिटवा भी दिया। पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया में फैल गया, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने जरूरी कार्रवाई की। देश की सबसे कठिन परीक्षाओ में से एक, सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त कर बने अधिकारियो का ऐसा रवैया न सिर्फ प्रशासन के लिए, बल्कि समाज के लिए भी निंदनीय और अस्वीकार्य है। हर साल लाखों युवा आइएएस बनने की आकांक्षा लिए अपने कॅरियर के पथ पर आगे बढ़ते हैं। उसमें से विरले ही सफल हो पाते है। हालांकि इसके बाद हर कदम पर योग्यता और बौद्धिकता से कहीं अधिक क्षमता की जरूरत पड़ती है।
अगर अधिकारी अपना आपा खोते रहेंगे तो आम जनता का व्यवस्था पर से भरोसा उठ जाएगा। गौरतलब है कि सिविल सेवकों को युवा अपना आदर्श मानते हैं। इनके कथन, कार्य और चरित्र को अपने जीवन में आत्मसात करते हैं। सिविल सेवकों को जनता की समस्या सुनने और उनका समाधान करने के लिए पदस्थ किया जाता है, लेकिन वर्तमान में बहुत से सिविल सेवक आक्रोश में आकर हिंसा का रुख अख्तियार कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसे सिविल सेवकों को सूचीबद्ध कर इनके व्यवहारों के आधार पर इनकी पदस्थापना की जाए और समय-समय पर मानसिक तनाव कम करने के लिए इन्हें प्रशिक्षण दिया जाए। सिविल सेवकों द्वारा गलती होने पर इन पर कार्रवाई किया जाए, ताकि अन्य अधिकारियो में भी एक अच्छा संकेत जाए और वे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ईमानदारी से कर सकें।
’अमित पांडेय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़