जलवायु परिवर्तन का पार्श्व प्रभाव अब दिखना शुरू हो गया है। पहले कभी-कभार एक या डेढ़ दशक में मौसमी प्रलयों से सामना हम जीवों का हुआ करता था। मगर अब ये हर हफ्ता होना शुरू हो गया है। 2020 का आस्ट्रेलिया के जंगली आग की तपन अभी खत्म ही नहीं हुई थी की उत्तरी अमेरिका में कई जंगलों में आग लगनी शुरू हो गई।

कनाडा में तो आठ सौ के करीब लोग अति गर्मी से झुलस कर मर गए। इधर, अंटार्कटिक स्थिति कई हिम घंड, जो पहले वर्षों के अंतराल में पिघलते थे, अब चंद दिनों में ही उनका अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। पिछले चंद घंटों के दरमियान जर्मनी और बेल्जियम में बाढ़ ने कहर बरपा किया है, जिसमें सत्तर के करीब मौतें हुई हैं। क्या अब समय नहीं आ गया है कि हमें गहराई से सोचें की जिस धरती ने हमें जीवन प्रदान किया, वह क्यों हमें मौत के दल-दल में धकेल रही है? या फिर इसके पीछे कुछ और ही चल रहा है..!
’जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी, जमशेदपुर