हाल ही में एक खबर पढ़ी कि एक डॉक्टर ने कार छोड़ कर साइकिल से काम पर जाना शुरू कर दिया और इस तरह वे डॉक्टर कोरोना में प्रकृति के साथ चलने का संदेश दे रहे हैं। देखा जाए तो साइकिल पर्यावरण के हित में बहुत उपयोगी है। 1990 के दशक तक लगभग हर घर में साइकिल उपलब्ध रहती थी। बच्चे साइकिल चलाना सीखने में उत्सुकता दिखाते थे।
आज भी विदेशों में लोग साइकिल का काफी ज्यादा उपयोग करते है। व्यायाम के लिए भी घरों में साइकिल का उपयोग किया जाता है। अन्य वाहनों का उपयोग भी अपनी जगह ठीक है, लेकिन साइकिल चलाने से व्यायाम होता है। इससे कई बीमारियां कोसों दूर हो जाती है। कुछ दशकों पूर्व साइकिल चलाने के दृश्य भी फिल्मों में होते ही थे। आज भी कई लोग साइकिल के शौकीन साइकिल से ही रास्ता तय करते हैं और वे पूरी तरह तंदुरुस्त हैं। कई तो भारत भ्रमण भी कर चुके हैं। विदेशी लोग पर्यटन स्थलों को देखने के लिए स्थानीय आवागमन की लिए साइकिल को प्राथमिकता देते हैं। पूर्णबंदी में अभी सब कुछ बंद है। लेकिन पूर्णबंदी खुलते ही स्थानीय आवागमन के लिए साधारणतया साइकिल का उपयोग सस्ता और स्वास्थ्य के हित में एक अच्छा विकल्प है।
’संजय वर्मा ‘दृष्टि’, मनावर, मप्र
नाहक जिद
बड़े आयोजनों में सर्वसम्मति का होना जरूरी होता है। वरना आयोजन का फीका पड़ना तय है। ऐसा ही एक आयोजन जापान की राजधानी टोक्यो में 29 जुलाई से होना तय हुआ है। आयोजन के अध्यक्ष हाशिमोतो महोदया को ये कहते सुना कर कुछ भी हो जाए, ओलिंपिक तो होकर रहेगा। इतनी जिद क्यों? जबकि वहां के ज्यादातर नागरिकों और डॉक्टरों ने मना कर दिया है।
दस हजार स्वयंसेवक भी अलग हो गए हैं। देश महामारी का चौथी लहर का सामना कर रहा है। अमेरिका समेत कई देशों ने आपके देश में यात्रा करने से बचने की सलाह दे चुके हैं। भाग लेने वाले कई देशों में महामारी अपने चरम पर है। ऐसे में आइओसी एवं मेजबान की हठधर्मिता समझ से परे है।
’जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड</p>