यह हकीकत है कि हवाला से पैसा आ रहा था, शत्रु देश नकली नोट छाप कर हमारे देश में भिजवा रहा था और आतंकवाद को पालपोस रहा था। लोगों ने अघोषित पूंजी/ आय लाकर्स/ तकियों में छिपा रखी थी, आदि-आदि। बड़े लक्ष्य बड़े निर्णयों से ही प्राप्त किए जा सकते हैं। लिहाजा, उचित ही है कि अर्थशास्त्री सरकार के विमुद्रीकरण के अभूतपूर्व निर्णय को देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा और महत्त्वपूर्ण कदम मान रहे हैं।
’शिबन कृष्ण रैणा, अलवर
अहम कदम
यह हकीकत है कि हवाला से पैसा आ रहा था, शत्रु देश नकली नोट छाप कर हमारे देश में भिजवा रहा था और आतंकवाद को पालपोस रहा था।
Written by जनसत्ता

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First published on: 15-11-2016 at 03:33 IST