कश्मीर में उन सैनिकों पर हमले हो रहे हैं जो देश की रक्षा तो करते ही हैं लेकिन साथ ही मुल्क में कहीं भी किसी भी तरह की आपदा आने पर अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की जान बचाते हैं। कश्मीर में भी बाढ़ के समय उन्होंने हजारों लोगों की जान बचाई पर आज उन्हीं में से कुछ गुमराह लोग सैनिकों पर गोलियां और पत्थर बरसा रहे हैं और वहां के निवासी विरोध भी नहीं कर रहे। अब कहां हैं मानवाधिकार आयोग और मानव अधिकारों की बात करने वाले? क्या सैनिक मानव नहीं जो उन पर देशद्रोहियों द्वारा हमला होने पर चुप बैठे हैं? पाकिस्तान, जो एक आतंकवादी की मौत पर उछल रहा है, अलगाववादियों के आका, जिन पर सरकार करोड़ों रुपया बरबाद कर रही है, क्यों चुप हैं? केवल दोहरे मापदंडों के कारण।
इन अलगाववादियों की सुविधाओं पर धन की बरबादी तुरंत बंद हो। इस समय कश्मीर समस्या के समाधान के लिए पूरा देश एकजुट है तो इससे अच्छा समय कभी नहीं होगा। यदि केंद्र सरकार ने इस समय भी कोई समाधान नहीं निकाला तो समस्या के लिए उसी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
’यश वीर आर्य, देहरादून