बलोच नेता ब्रह्मदाग बुगती, जो फिलहाल जिनेवा में निर्वासित जीवन जी रहे हैं, ने भारत में राजनीतिक शरण मांगी है। ब्रह्मदाग अपने जमाने के सबसे बड़े बलोच नेता अकबर खां बुगती के पोते हैं। अकबर बलूचिस्तान के राज्यपाल और मुख्यमंत्री- दोनों पदों पर रह चुके थे। उन्हें 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने मिसाइल हमले में मरवा डाला था। पाकिस्तान 69 साल से बलोचों को मानवाधिकारों से वंचित रखे हुए है। उसने बलूचिस्तान को अपने अत्याचारों से नर्क बना रखा है।
भारत ने ऐसी ही स्थिति 1970-71 के दौरान पूर्वी पाकिस्तान में पैदा होने पर वहां के कई नेताओं को शरण दी थी। बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी के जिया-उर-रहमान ने भारतीय भूमि से ही 26 मार्च 1971 को स्वतंत्र बांग्लादेश की घोषणा की थी। ब्रह्मदाग अस्तित्व का संकट झेल रही बलूच कौम के प्रतिनिधि हैं। उन्हें भारत सरकार तत्काल शरण दे, वैसे ही जैसे पीड़ित बांग्लादेशियों, तिब्बतियों, अफगानियों अथवा श्रीलंकाइयों को आज तक दी है।
’अजय मित्तल, मेरठ</p>