भारत में पिछले कुछ सालों में बिगड़ता पर्यावरण गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। हालांकि भारत के वातावरण मे सल्फर डाइआक्साइड के उत्सर्जन में छह फीसद की गिरावट आई है, लेकिन इतने भर से काम नहीं चलने वाला। भारत में वायु प्रदूषण जिस खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है, उसमें प्रभावी प्रयासों की जरूरत है। इस स्थिति से निपटने के लिए भारत को हरित ऊर्जा की आवश्यकता है।

यही ऊर्जा भारत को प्रदूषण मुक्त करने में सफलता दे सकती है। हालांकि अक्षय ऊर्जा की दिशा में काम तो शुरू हुआ है, लेकिन इसकी गति काफी धीमी है। अक्षयऊर्जा के स्रोतों की कमी नहीं है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा, ज्वार भाटा से प्राप्त ऊर्जा, बायो गैस और जैविक ईंधन इसके उदाहरण हैं। इन स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा भारत को प्रदूषण मुक्त भारत बनाने में मदद कर सकता हैं। हरित ऊर्जा की वकालत भी जोरों पर है। आंकड़े बताते हैं कि कोयला के प्रयोग से भी प्रदूषित गैसों के उत्सर्जन में दस फीसद गिरावट की उम्मीद है जो एक अच्छा संकेत है। परंतु सल्फर डाइआॅक्साइड उत्सर्जन पर आई सालाना रिपोर्ट चिंता पैदा करने वाली है।

इस गैस की रोकथाम इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह मनुष्यों में दिल की बीमारियों, फैंफड़े के कैंसर जैसी बीमारियों को जन्म दे सकती है। सरकारी निर्देश के अनुसार ग्रिप गैस डिसल्फराइजेशन को स्थापित नहीं करना एक सरकारी अपराध है। इस पर बिजली संयंत्रों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई जरूरी है और ऐसा नहीं करने वाले बिजली संयंत्रों पर प्रतिबंध एवं कार्रवाई अपरिहार्य लगता है।
’अशोक, पटना</p>