जेब में पैसा आने के बाद इंसान गर्मी से निपटने के लिए घर के आसपास पेड़ लगाने के बजाय घर में ‘एसी’ लगवाता है। भविष्य में गर्मी के प्रकोप से बचने के लिए सब कूलर और एसी ले आएंगे लेकिन पेड़ लगाने की मुसीबत कोई नहीं उठाना चाहेगा।
अपने थोड़े से ऐश और आराम के लिए दूसरों पर समस्या थोपना कहां न्यायोचित है? नैतिकता तो जैसे समाज से गायब ही होती जा रही है। कहीं कोई युद्ध नहीं चल रहा है पर संघर्ष इतना बढ़ गया है कि समाज में जीने के लिए भी स्वार्थी बनना पड़ रहा है! आखिर किस ओर जा रहे हैं हम?
राज सिंह रेपसवाल, जयपुर</strong>