भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां साठ फीसद किसान मानसून पर निर्भर हैं। किसानों के साथ-साथ अब आम आदमी को भी मानसून संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। देश के कई इलाके हैं जहां आज भी जल संकट गंभीर है।
राजस्थान जैसे प्रदेश में तो पानी की तलाश में महिलाओं को कई-कई किलोमीटर भटकना पड़ता है। ऐसी स्थिति में हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाने की आवश्यकता है। सतत पोषणीय विकास की अवधारणा को ध्यान में रख कर विकास किया जाना चाहिए।
जल दुर्लभता वाले क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण करके संपूर्ण वर्ष उसी का इस्तेमाल करें। सरकार को भी शुष्क इलाकों को नहरों से जोड़ना चाहिए, ताकि वहां के लोगों को पानी मिल सके, कृषि संबंधी समस्याएं दूर हों और आर्थिक हालत भी सुधरे। राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना ने पश्चिमी राजस्थान में क्रांति ला दी। जल संरक्षम की प्राचीन तकनीक भी जल संकट से बटा सकती हैं।
’अफजल खुर्शीद, हरियाणा