भारत सरकार ने विभिन्न देशों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई परियोजनाओं का अनावरण किया है। चीन ने भी एक तरफ सहायता देकर और दूसरी तरफ मृत जाल फैला कर अनेक देशों की मदद की है। भारत हमेशा से रास्ता सिखाता है और संप्रभुता को ध्यान में रखते हुए क्रेडिट लाइन का विस्तार करता है। लेकिन चीन सिर्फ अपने स्वार्थ को सिद्ध करते हुए मुश्किल में फंसे देशों की समस्याओं का फायदा उठाता है। पाकिस्तान, चीन का आधुनिक विश्व उपनिवेश बन गया है। यही कारण है कि इमरान खान अपना चेहरा छिपाते हैं, जब उनसे उइगर मुस्लिम के बारे में पूछा जाता है। यहां तक कि श्रीलंका को भी अच्छा सबक मिला है, जब चीन ने कर्ज न चुकाने पर हुंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया।

आज भारत की अन्य देशों में लगभग पांच सौ परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें से तीन सौ पूरी हो चुकी हैं। चीन के रवैये को पूरी दुनिया देख रही है, फिर भी डेढ़ सौ देशों में वितरित 1.5 ट्रिलियन ऋण के साथ वह दुनिया का सबसे बड़ा देनदार और जालसाज है। चीन अपनी सीपीईसी परियोजना के लिए इस्लामाबाद से जोड़ने के लिए काबुल में अपना पैर पसार रहा है। लेकिन भारत अच्छी तरह से जानता है कि वहां इसकी शिक्षा से लेकर बिजली आपूर्ति और सड़क तक चार सौ परियोजनाएं चल रही हैं। निश्चित रूप से ये परियोजनाएं नई दिल्ली में मजबूत द्विपक्षीय संबंध बनाने में काबुल के साथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
’अमन जायसवाल, दिल्ली विवि, दिल्ली

अभाव की मार

मानव को जिंदा रहने के लिए संवाद और अनेक वस्तुओं की आवश्यकता होती है। जैसे जैसे समाज में परिवर्तन आता है, वैसे-वैसे हमारी आवश्यकताएं भी बदलती जाती हैं। लेकिन बीते वर्ष आई महामारी ने कई लोगों को इतना मजबूर बना दिया कि अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए व्यक्ति चोरी करने, बच्चों को अगवा कर उनके घर वालों से पैसों की मांग करने जैसी गतिविधियां करने लगे। यहां तक कि कई लोग भुखमरी का शिकार हो गए। सरकारों ने अपने-अपने प्रदेश में राशन बांटना, मुफ्त भोजन करवाना और अन्य सामाजिक कार्यक्रम शुरू किया लेकिन इसकी सीमा साफ दिखी। ऐसे में जनता का खयाल रखने का हवाला देकर पूर्णबंदी को खोल दिया गया, लेकिन अब भी बहुत बड़ी तादाद में लोग बेरोजगार हैं। आम जिंदगी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
’कलश तिवारी, सरिता विहार, नई दिल्ली