मोटरसाइकिल चलाने वालों को अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कई बार हेलमेट की अनिवार्यता होने के बाद भी लोग लापरवाही का परिचय देते हैं और अंजाम बुरा साबित होता है। विडंबना है कि प्रशासन रक्षा-सुरक्षा के लिए हेलमेट की अनिवार्यता तय करती है, पेट्रोल पंपों को बिना हेलमेट पहने दोपहिया सवार को पेट्रोल नहीं देने के आदेश देती है, पर वाहन चालकों की उदासीनता उनको काल के गाल में ले जाती है! जब सरकार जनता की सुरक्षा और जान की फिक्र करती है तो लोग क्यों लापरवाही दिखाते हैं? क्या लोगों को अपनी जान की बिल्कुल परवाह नहीं होती?
कई बार देखने मे आता है कि दोपहिया वाले गाड़ी को अधिक गति में चलाते हैं और जल्दी पहुंचने की होड़ मे गलत तरफ से वाहन को आगे निकालने लगते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। दूसरी ओर, इनके घर पर अन्य सदस्य इनका इंतजार करते रह जाते हैं। इन लोगों को इतना भी नहीं सोचना आता? हादसे आमतौर पर लापरवाही से और बेलगाम तेजी से गाड़ी चलाने से होती है। कई बार युवाओं व बच्चों को भी गली-मोहल्ले में बहुत तेजी से गाड़ी भगाते देखा जा सकता है। अंजाम दुर्घटना के रूप में सामना आता है।
ऐसे लोगों के माता पिता को भी सोचना चाहिए कि वे बच्चों को गाड़ियां क्यों सौंप देते हैं। बच्चे छोटे और कई बार कमजोर होते हैं। बच्चा कैसे गाड़ी चला रहा, किस गति से चला रहा है, इसका कोई भान नहीं होता माता-पिता को। सड़क दुर्घटनाओं को रोकना हो और जीवन बचाना हो तो दोपहिया पर हर वक्त हेलमेट लगाना होगा। यातायात के नियमों को समझना और उनका पालन करना होगा। गाड़ी की गति को नियंत्रित रखना होगा। मानव जीवन अनमोल है।
योगेश जोशी, बड़वाह
आफत की बारिश
उत्तर प्रदेश के लगभग पैंतालीस जिलों में बेमौसम बरसात ने सामान्य जनजीवन को तो प्रभावित किया ही है, साथ ही साथ किसानों को बहुत बड़े स्तर पर हानि पहुंचाई है। धान, सरसों की फसल और सब्जियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान इस समय आलू के साथ-साथ सरसों की फसल की बोआई करते हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तीस जिलो में करीब 4.5 लाख हेक्टेयर खेत में धान की रोपाई होती है। जब बारिश का मौसम था उस समय बारिश न होने के कारण किसानों को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा और अब जब फसल बोने का समय आया तो बेमौसम बरसात किसानों पर आफत बन कर आई है।
नागेंद्र, मेरठ</p>