विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में कोरोनावायरस का सामुदायिक प्रसार रोकने में सफलता की प्रशंसा की है। यहां प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या घनत्व सवा दो लाख से ज्यादा है। इटली, स्पेन और दक्षिण कोरिया के साथ ही मुंबई की इस बस्ती ने दिखा दिया है कि महामारी का प्रकोप चाहे जितना गंभीर हो और चाहे वह खराब ढांचागत संरचना वाले क्षेत्र में हो, फिर भी उस पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसके लिए केवल समन्वित प्रयास करने होते हैं।
धारावी में छह लाख लोग ढाई किलोमीटर के क्षेत्र में रहते हैं जो आपसी दूरी, बार-बार हाथ धोने तथा हवादार स्थान में रहने के मंत्रों द्वारा महामारी से संघर्ष में बाधा पैदा करता है। यहां कम से कम सात-आठ लोग सौ वर्ग फीट के स्थान में रहते हैं तथा हर रोज पानी के लिए लाइन लगाते हैं।
अस्सी फीसद बस्ती निवासी सामुदायिक शौचालयों का प्रयोग करते हैं और ताजा हवा आना लगभग असंभव है, क्योंकि घर और फैक्ट्रियां संकरी गलियों में एक ही मकान में हैं। इसके बावजूद सात जुलाई को धारावी में केवल एक मामला सामने आया और दस जुलाई तक यहां केवल दो हजार तीन सौ उनसठ मामले थे। पश्चिमी मीडिया के संपादकों ने धारावी को टाइम बम बताया गया था जो एक निश्चित समय पर फटने वाला था।
नगर निगम यानी बीएमसी ने महामारी को यहां रोकने के लिए बहुत सख्त इंतजाम किए। बीएमसी ने समस्या से सीधे निपटने के लिए समुदाय को अपने साथ लिया और हर परिवार तक पहुंचने के लिए टीमें बनाई। पूरी मुंबई इस समय एक हॉटस्पॉट है, ऐसे में धारावी सारे तर्क पीछे छोड़ कर संक्रमण फैलने से रोकने तथा उसकी शृंखला तोड़ने में सफल हुई है।
’महेंद्र सिंह लोधी, चंदनिया, अलीगढ़