देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस वर्तमान में कलह की पार्टी बनती जा रही है। वरिष्ठ नेता पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। हालांकि यह बात औपचारिक रूप से नहीं कही गई है, किंतु यह पार्टी के आंतरिक अनुशासन को डांवाडोल अवश्य करती है।

इस आंतरिक समस्या के कारण पार्टी द्वारा उठाए गए जनहित के मुद्दे और विपक्ष की आलोचना का जनमानस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है, बल्कि यह संदेश जा रहा है कि जो पार्टी अपने झगड़े ही नहीं सुलझा पा रही, वह देश को क्या संभालेगी। इसलिए जब तक पार्टी अपने अंदरूनी विवादों को निपटा कर मजबूती के साथ खड़ी नहीं होगी. तब तक उसकी छवि अब एक कमजोर पार्टी के रूप में ही बनी रहेगी।

कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व अवश्य ही युवा हाथों में दिया जाए, किंतु अन्य वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल बना कर चलना जरूरी है। एक संगठन तभी सफल हो सकता है, जब शीर्ष नेतृत्व और कार्यकर्ता सहयोग और सामंजस्य के साथ कार्य करें।

कार्यकतार्ओं का असंतोष कहीं न कहीं पार्टी के पतन का कारण बनता है। कांग्रेस को सबसे पहले आंतरिक अनुशासन को मजबूत करने पर बल देना चाहिए, ताकि आने वाले समय में वह मजबूत विपक्ष के तौर पर जन समुदाय का नेतृत्व कर सके और लोकतंत्र की अवधारणा को वास्तविक तौर पर सुनिश्चित कर सके।
’प्रतीक महेरी, उदयपुर (राजस्थान)

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