आधुनिकता और विकास के चलते वनों की अंधाधुंध कटाई उनका विनाश तो कर ही रहीं हैं, साथ ही वन्यजीवों के जीवन को भी खतरा पहुंचा रही हैं। वन्यजीवों की निरंतर घटती संख्या को रोकने के लिए सबको व्यक्तिगत आधार पर इनके संरक्षण की जवाबदेही लेनी होगी। संसाधनों का अत्यधिक दोहन, अवैध शिकार और उनके निवासों का नाश, ये ऐसे विवेकहीन कार्य हैं, जो वन्य जीवों के प्राणों के लिए खतरा हैं। दो शहरों के बीच छाई हरियाली को काट कर रिहायशी इलाकों मे तब्दील करते नव निर्माण, इन क्षेत्रों मे रहने वाले जंगली जानवरों को शहरों की ओर भागने के लिए मजबूर करते हैं, जहां उनकी जान का खतरा हमेशा ही बना ही रहता है।
दूसरी ओर, तेंदुआ जैसे पशुओं के रिहाइशी इलाकों की ओर जाने से खुद मनुष्य को खतरा होता है। वन्य जीव संरक्षण शब्द इन्हीं संसाधनों को बचाने की ओर इंगित करता है, जो प्रकृति ने मानव को उपहार स्वरूप दिए हैं। वनों मे रहने वाले जंगली जीवों के साथ दुर्लभ प्राकृतिक संपदा को विलुप्त होने से रोकने के लिए भी इनका संरक्षण जरूरी हो जाता है। सभी सरकारों को वन और वन्यजीव-संरक्षण के लिए बनाए गए नियमों का पालन कड़े रूप मे करवा कर वनों के विनाश की रोक के साथ वन्यजीवों की जिंदगी बचाने की कोशिश जारी रखनी होगी।
’नरेश कानूनगो, गुंजुर, बंगलुरु, कर्नाटक