स्वच्छ भारत के लिए देशवासियों से अपील कर रहे हैं। लोग धीरे-धीरे समझने भी लगे हैं। जितना भी कचरा है, गंदगी है उसका सिर्फ एक कारण है पॉलीथिन। एक बार जो पॉलीथिन दुकानदार या उपभोक्ता तक पहुंच गई तो जब तक उस पॉलीथिन को ठिकाने नहीं लगाया जाएगा तब तक वह गंदगी तो फैलाएगी ही। आप अपने घर को, मोहल्ले को, शहर को तो साफ रख लेंगे, पर कहीं न कहीं तो उस पॉलीथिन को फेंकेंगे ही। वह जहां भी जाएगी गंदगी ही फैलाएगी।

पॉलीथिन को पूरी तरह बंद तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन नियंत्रित तो किया ही जा सकता है। हममें से बहुत-से लोग जब भी सब्जी मंडी जाते हैं तो कभी थैला साथ लेकर नहीं जाते। जैसे कि गए तो किसी पिकनिक पर थे, पर परिवार पालने के चक्कर में सब्जी खरीदने लग गए। हममें से बहुत-से लोग तो ऐसे भी हैं जो सब्जी मंडी तो थैला लेकर जाते हैं, मगर वहां प्रत्येक सब्जी एक थैली में लेंगे और फिर सबको उस थैले में रख कर बड़ी शान से मंडी से बाहर आते हैं।

जो सब्जीवाला ठेले द्वारा घर-घर सब्जी व फल बेचता है, उसको भी अपने साथ पॉलीथिन रखनी पड़ती है, क्योंकि कई लोग इतने सभ्य हो गए हैं कि अपने घर पर आए ठेले से बिना थैली के सब्जी नहीं खरीदेंगे। आजकल सब्जी व फल पॉलीथिन में खरीदना तो जैसे स्टेटस बन गया है।
हम किस ओर बढ़ रहे हैं?

माना कि आप अपना परिवार पाल रहे हैं, पर इतने भी लापरवाह न बनें कि चारों तरफ की खाली जमीन कचरे के ढेर के नीचे दब जाए। हर काम सरकार पर न थोपें। लोगों में नागरिक-बोध विकसित नहीं होगा तो अकेले सरकार क्या कर लेगी!
’राज सिंह रेपसवाल, सिद्धार्थ नगर, जयपुर</p>