चीन की अवांछित गतिविधियां रुक नहीं रही हैं। खबरों के मुताबिक भारत की चीन से सटी उत्तरी विस्तृत सीमा पर लंबी दूरी तक मार करने वाले विमान और क्रूज मिसाइल तैनात कर दिया है। चीनी मिसाइलों की जद में भारत के लगभग सभी शहर आ जाते हैं। इसके अतिरिक्त चीनी सेना लद्दाख सीमा से पीछे हटने के बजाय पैगॉन्ग झील में अवांछित गतिविधि जारी रखे हुए है। खबरें ये भी आई हैं कि लद्दाख में चीनी सेना की गतिविधियों से यह संकेत मिल रहा है कि उसे चीन की केंद्रीय सैन्य आयोग से अनुमति मिली हुई है, जो चीन के सर्वोच्च नेता शी जिनपिंग के सीधे कमांड में है।

चीनियों का इतिहास रहा है कि वे विश्वासयोग्य नहीं होते। आज भी उनकी इस प्रवृत्ति और चरित्र में बदलाव नहीं हुआ है। मसलन पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी सीमा पर वे दिखावे के लिए शांति और स्थिरता की बात कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है। चीनी सेना के प्रवक्ता भारत की सेना से पैगॉन्ग सो में बने पुराने प्रशासनिक बेस को हटाने तथा कुगरंग में पहाड़ी से भी नीचे आने के लिए कह रहे हैं। अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार भारत के मुकाबले चीन के पास परमाणु हथियारों की संख्या काफी अधिक है।

चीन अब जल्द ही परमाणु हथियारों के मामले में फ्रांस को भी पीछे छोड़ कर दुनिया का सर्वाधिक परमाणु हथियारों वाला तीसरा देश बन जाएगा। परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘सिप्री’ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार चीन अगले दशक में अपने परमाणु जखीरे को और तेजी से बढ़ाने जा रहा है। संभावित युद्ध की मंशा वाले देश सबसे पहले अपने नागरिकों, यथा कर्मचारियों, व्यापारियों और अफसरों आदि को दूसरे देशों से बुलाने प्रारंभ कर देते हैं। चीन आजकल यह काम जोर-शोर से कर रहा है।

दरअसल, चीन कोरोना संक्रमण में खुद ही अत्यधिक घिरा होने की वजह से दुनियाभर में बुरी तरह बदनाम हो चुका है। अब वह अपना झेंप मिटाने के लिए भारत से युद्ध लड़ कर अपनी बदनामी से दुनिया का ध्यान भटकाना चाह रहा है। इसके अतिरिक्त चीन से विदेशी कंपनियों का पलायन जारी है और वे भारत की तरफ रुख कर रही हैं। इससे भी चीन भारत से चिढ़ा हुआ है। भारत से भिड़ कर चीन अपनी सैन्य और सामरिक शक्ति में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करना चाहता है। लेकिन युद्ध लायक हालत आज न चीन के पास है, न भारत युद्ध चाहता है। जिस कथित महाबली चीन को जापान, ताइवान, वियतनाम जैसे देशों ने पसीने छुड़ा रखे हों, जो हांगकांग जैसे एक टापू देश को अपनी बात मानने को राजी न कर पाया हो, वह भारत जैसे देश से कोई बड़ा युद्ध करने का खतरा मोल नहीं ले सकता!

आज के समय में धमकी देना, सीमा पर तनाव बढ़ा देना और वास्तविक युद्ध के अकल्पनीय दुष्परिणाम को भुगतने में बहुत अंतर है! युद्धरत दोनों देशों को अकल्पनीय, अकथनीय नुकसान हो सकता है। इसलिए चीन, भारत और समस्त दुनिया, सभी की इसी में भलाई है कि हर हाल में युद्ध की स्थिति और हालात न बने। सभी लोग अमन, शांति और सुख-चैन से रहें।
’निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उप्र