किसी भी मंजिल को पाने के लिए जुनून होना चाहिए। राह तो अपने आप बनने लगती है। विपरीत परिस्थिति और तमाम चुनौतियों के बावजूद सफलता आपका स्वागत करने के लिए तैयार रहती हैं। इसलिए कठिन रास्तों से न घबराए, कठिन रास्ते ही अक्सर खूबसूरत मंजिलों तक ले जाते हैं। ऐसा ही एक वाकया है, जब एक छोटा बच्चा बहुत देर से पास की एक कील पर से एक थैला उतारने का प्रयास कर रहा था। पर बच्चे की लंबाई दीवार पर लगी उस कील से काफी कम थी। पर इस बात से बिल्कुल बेखबर वह लड़का उचक-उचक कर लगातार प्रयास करता रहा। जब बार-बार की कोशिश के बावजूद असफल हुआ तो दूसरे कमरे में रखा एक स्टूल ले आया। पर अब भी बात बनी नहीं।
इसी क्रम में कई बार स्टूल का संतुलन बिगड़ा और लड़का जमीन पर गिरा। एक बार उसकी नाक पर चोट लगी और थोड़ा खून भी निकल आया। पर अजीब-सी जिद पकड़ रखी थी उसने वह फिर खड़ा हुआ, दर्द को नजरअंदाज करते हुए उसने एक बार फिर जोर से प्रयास किया। इस बार भी स्टूल गिरा और लड़का फिर मुंह के बल जमीन पर गिर पड़ा, पर इस बार वह खाली हाथ नहीं था। इस बार उसके हाथ में थैला था।
इसका मतलब यही है कि लगातार हो रही असफलताओं से हमें निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल देती है। सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास के दम पर हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। अगर हम उस वक्त मुस्कुरा सकते हैं, जब पूरी तरह टूट चुके हैं तब दुनिया में हमें कोई तोड़ नहीं सकता। दुनिया में कोई काम असंभव नहीं, बस हौसले और मेहनत की जरूरत है।
जब भी मुश्किल समय आता है तो मानसिक रूप से मजबूत लोग भी सामान्य लोगों की तरह ही परेशान होते हैं। अंतर यही है कि वे यह जानते हैं कि जीवन के चुनौतीपूर्ण पल कुछ मूल्यवान सबक लेकर आएंगे। एक पत्रकार ने अमेरिका में बॉक्सर मुहम्मद अली से पूछा था कि वे हर दिन कितनी उठक-बैठक करते हैं तो उन्होंने जवाब दिया, मैं उनकी गिनती नहीं करता… मैं गिनती तभी शुरू करता हूं, जब मुझे दर्द होने लगता है। जब चीजें मुश्किल होने लगती है तो आपके पास हमेशा दो चुनाव होता है। या तो हम उनका मुकाबला करके आगे बढ़ जाएं या फिर उनके सामने हथियार डाल दें।
किसी भी काम के मुश्किल होने पर उसे छोड़ने के बजाय अगर हम चुनौती के जरिए खुद को आगे बढ़ाएं तो हमारे भीतर एक ताकत का विकास होता है, जो हमारी सफलता का मार्ग प्रशस्त करती हैं। सफलता सकारात्मक चिंतन से आरंभ होती है, क्योंकि सकारात्मक विचारों से ही हम विचारों, भावनाओं तथा कर्मों को उत्पन्न करते हैं, जो हमारी सफलता में योगदान देते हैं। अनुशासित मन सकारात्मकता से भरपूर होता है तो हमारे लिए प्रसन्नता, स्वास्थ्य और जय की ओर देखना सरल हो जाता है और यह सफलता केवल एक ही अनुशासन पर आधारित है। वह है आत्मानुशासन। इसका अर्थ होता है भटके हुए मन को एक दिशा में केंद्रित करना और यह सीखना कि इसे कैसे निर्देशित किया जा सकता है। कहते है कि मंजिल को पाना है तो राह के कांटों से मत घबराना, क्योंकि कांटे ही तो बढ़ाते हैं रफ्तार हमारे कदमों की!
’गौतम एसआर, खंडवा, मप्र