सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए महत्त्वाकांक्षी योजना बनाई है जिसके तहत बैटरी और ई-वाहनों के कलपुर्जे बनाने के लिए पांच विशाल संयंत्र लगाए जाएंगे। यह निर्माण कार्यक्रम वर्ष 2024 तक चरणबद्ध तरीके से चलेगा। सरकार ने पेट्रोलियम से चलने वाले वाहनों को ई-वाहन में तब्दील करने की भी योजना बनाई है। हमारे देश के कई शहर विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार हैं। समूचे विश्व में मौतों की एक मुख्य वजह वाहनों से निकलने वाला धुआं भी है। लिहाजा, पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों को व्यापक रूप से प्रोत्साहित करने की जरूरत है। जरूरी यह भी है कि ई-वाहनों को बाजार में बड़े पैमाने पर उतारने से पहले उनकी सभी प्रकार की खामियों-सीमाओं की भलीभांति जांच कर ली जाए क्योंकि ये भविष्य के वाहन हैं।

आम जनता को ई-वाहनों की खरीद के लिए प्रेरित करने की खातिर इन वाहनों को और ज्यादा सब्सिडी देने की जरूरत है। आम जनता को जागरूक करने के लिए इन वाहनों का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने की भी आवश्यकता है। गौरतलब है कि हमारा झुकाव अब तक पेट्रोलियम से चलने वाले वाहनों की ओर ही है।

सरकारी क्षेत्र में और सार्वजनिक परिवहन में पेट्रोलियम ईंधन वाले वाहनों को हटाकर इलेक्ट्रिक वाहन चलाना ज्यादा कारगर साबित होगा। इससे न सिर्फ पेट्रोलियम के आयात पर होने वाले बेहिसाब खर्च की बचत होगी बल्कि पर्यावरण भी संतुलित होगा। अभी इलेक्ट्रिक वाहनों में कुछ खामियां-सीमाएं हैं जिनका निराकरण करने की जरूरत है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बनावट में रफ्तार, बैटरी क्षमता जैसे पहलुओं पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। इन वाहनों की कीमत भी ऐसी हो कि