कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वायदा किया है कि केंद्र सरकार में 22 लाख नौकरियां मार्च 2020 तक दी जाएंगी। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि यदि मार्च तक ऐसा न हो सका तो मुझे पकड़ लें! चुनाव जीतने के लिए अधीर हुई कांग्रेस इस समय इस मानसिकता में है कि कोई भी वायदा आप उससे करा सकते हैं। जरा विचार कीजिए कि केंद्र सरकार में कर्मचारियों की कुल संख्या 15 लाख के आसपास है, तब उसमें 22 लाख नौकरियां कहां से आ जाएंगी? चालीस-पचास हजार से अधिक नौकरियां वहां प्रतिवर्ष निकलने की संभावना नहीं हो सकती। फिर यह कई गुना अधिक नौकरियां देने का प्रलोभन क्यों?
इससे पहले जो कृषि ऋण माफी की घोषणा कांग्रेस ने की थी, वह भी एक समयबद्ध वायदा था। क्या हुआ उसका? अकेले मध्यप्रदेश में 48,000 करोड़ के फसली कर्ज माफ होने थे और यह काम दस दिन में हो जाना था। अब 100 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं लेकिन महज चार हजार करोड़ के कर्ज माफ हुए हैं। बैंक किसानों की देनदारियां निकालने और वसूल करने में लगे हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। अब कहां से और कैसे पकड़ें राहुल गांधी को? मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने तो अभी और नमक छिड़का है किसानों के जख्मों पर। जिनके कर्ज माफ नहीं हुए, उनके पास चिट्ठी भेजी है कि आदर्श आचार संहिता के चलते अब उनका नंबर चुनाव के बाद ही आएगा। एक और झूठ! आचार संहिता पहले से चलती आ रही योजना को कहीं नहीं रोकती। कर्नाटक, छत्तीससगढ़ और राजस्थान के किसान भी राहुल गांधी के झूठे वायदे के शिकार हैं।
हर साल गरीबों को 72,000 रुपये देने का वायदा एक और उदाहरण है जिसके बाबत राहुल अभी तक स्पष्ट नहीं कर पाए कि वर्तमान में जो 1,06,000 रुपए प्रतिवर्ष की सब्सिडी गरीब परिवारों को दी जा रही है, वह बंद तो नहीं कर दी जाएगी? अगर यह बंद नहीं होगी तो कहां से लाएंगे इतना पैसा? क्या नए टैक्स लगाकर?
’आस्था गर्ग, बागपत रोड, मेरठ</strong>