वर्तमान राजग सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का एक और बजट पेश करने वाली है। कोरोना महामारी और पूर्णबंदी के बाद यह बजट अहम माना जा रहा है। जनता की उम्मीदें आसमान छू रही हैं। गौरतलब है कि कोविड-19 ने सरकार को इस वित्तीय वर्ष के लिए एक नया वर्ग बनाने पर मजबूर कर दिया है, जिसे ‘बैक सेंसर’ कहा जाएगा। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी के टीकाकरण के लिए केंद्र सरकार को चालीस से अस्सी हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी। वित्त मंत्री को स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ाना होगा।
ऐसी नीति बनानी होगी, जिससे सरकारी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिले। सरकार को देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की आर्थिक स्थिति सुधारनी होगी। सालों से बैंकों का लेखा-जोखा बराबर नहीं रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक की एक जांच में पता चला है कि बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्तियां, यानी एनपीए जो मार्च 2020 में 8.5 फीसद थीं, मार्च 2021 में बढ़ कर 12.5 फीसदी तक हो जा सकती हैं। इससे उबरने के लिए सरकार को बैंकों में पूंजी का निवेश करना होगा।
एक रास्ता यह भी हो सकता है कि घाटे में चल रहे सार्वजनिक बैंकों को निजी निवेशकों के हवाले कर दिया जाए। बैंकों को भी धन उपलब्ध कराना होगा, जिससे वे अधिक से अधिक ऋण वितरण कर सकें। नए वित्तीय वर्ष कर संग्रह की दूसरी छमाही से पहले पटरी पर लौटती नहीं दिखाई दे रही है। ऐसे में वित्त मंत्री को राजकोषीय घाटा तार्किक स्तर पर रखना होगा, ताकि देश के कर्ज का प्रबंधन किया जा सके और एजेंसियों को रेटिंग कम करने का मौका ही न मिले।
इस दिशा में विकल्प बहुत कम है। वित्तीय वर्ष 2020 से 2021 में कृषि क्षेत्र में 3.4 फीसद के विकास का अनुमान है, क्योंकि वित्त वर्ष 2019-20 के चार फीसद के मुकाबले कम रहने का अनुमान जताया गया है। लेकिन देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 फीसदी और दूसरी तिमाही में 7.5 फीसदी का संकुचन देखने को मिला है। महंगाई के अलावा अन्य क्षेत्र जैसे सड़क, अस्पताल, रेल की पटरी आदि से संबंधित घोषणाएं आम आदमी के जीवन पर असर डालता है।
बहरहाल, महामारी को देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि इस साल बजट को ‘डॉक्यूमेंट लेस’ रखा जाएगा। आजादी के बाद यह पहली बार होगा जब बजट इस तरह का होगा। दरअसल, बजट दस्तावेज की छपाई प्रक्रिया के संक्रमण के खतरे को कम करने के इरादों के चलते इस बार बिना कागज के बजट पेश किया जाएगा। सांसदों को भी सॉफ्ट कॉपी का इस्तेमाल करना होगा। लेकिन अहम बात यह है कि यह बजट बुरी दशा में पहुंची अर्थव्यवस्था और आम जनता के लिए क्या उम्मीद लेकर आती है।
’रूबी सिंह, गोरखपुर, उप्र