राफेल से जुड़ी दो खबरें सुर्खियों में आईं। पहली खबर राफेल सौदे में आफसेट समझौते का पालन नहीं होने की थी और दूसरी खबर राफेल जेट उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह के बारे में थी। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की आडिट रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ कि राफेल के फ्रांसीसी निर्माताओं ने अब तक आफसेट समझौते का पालन नहीं किया है।
राफेल सौदे पर अंगुली उठाने वाले लोग इस रिपोर्ट को अपनी आलोचना और विरोध को आधार देने वाला मान सकते हैं। लेकिन यह रिपोर्ट आगे कहती है कि 2005 में लागू की गई आफसेट नीति विफल रही, क्योंकि समझौता होने के बावजूद ज्यादातर विदेशी निर्माताओं ने आफसेट कि शर्तों का उल्लंघन किया। मतलब यूपीए हो या एनडीए, दोनों में से कोई भी विदेशी निर्माताओं से आफसेट कि शर्तों का शत-प्रतिशत अनुपालन नहीं करा पाया।
भारत के चारों ओर मंडराते खतरों के मद्देनजर अपनी रक्षा संबंधी जरूरतों के लिए हमें विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के सामने झुकना पड़ता है और शायद ऐसे उल्लंघनों को झेलना पड़ता है। विदेशी आपूर्तिकर्ताओं कि मनमर्जी का जवाब आत्मनिर्भरता और स्वदेशी में है।
अब बात फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह की, जिनका राफेल उड़ाना महिला सशक्तिकरण कि एक जबरदस्त मिसाल है। इससे दो दिन पहले ही खबर आई थी कि भारतीय नौसेना के इतिहास में पहली बार दो महिला अफसरों, सब लेफ्टिनेंट कुमुदिनी त्यागी और सब लेफ्टिनेंट रीति सिंह को नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात किया जाएगा। महिला शक्ति के मजबूत होने पर किसे खुशी नहीं होगी..!
’बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उप्र