UPI Payment: भारत में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने में यानी यूपीआई का बहुत बड़ा योगदान है। करोड़ों लोग रोजना यूपीआई का इस्तेमाल बिना कोई शुक्ल दिए करते हैं। लेकिन अब आरबीआई यूपीआई से लेनदेन पर आईएमपीएस सेवा की तरह शुल्क लगा सकती है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हाल ही में आरबीआई ने सभी हितधारकों से यूपीआई से लेनदेन पर शुल्क बसूलने को लेकर राय मांगी है।

बता दें, बीते बुधवार को आरबीआई की ओर से एक पत्र जारी किया गया, जिसमें देश में भुगतान सेवाओं को और अधिक कारागार बनाने के लिए शुल्क प्रणाली को लेकर चर्चा की गई थी। इसमें यूपीआई, आईएमपीएस, एनईएफटी, आरटीजीएस, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स जैसे शुल्क प्रणालियों को शामिल किया गया है।

आईबीआई ने इस पत्र में कहा कि प्राप्त फीडबैक के आधार पर देश में विभिन्न भुगतान सेवाओं के लिए अपनी नीतियों को तैयार करने और शुल्क के ढांचे को सुव्यवस्थित करने का प्रयास करेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस स्तर पर आईबीआई ने पत्र में चर्चा किए गए मुद्दों को लेकर कोई भी निर्णय नहीं लिया गया। आरबीआई ने इस साल 3 अक्टूबर तक हितधारकों से इस पर प्रतिक्रिया और सुझाव मांगे हैं।

वहीं, यूपीआई को लेकर कहा है कि यूपीआई एक फंड ट्रांसफर के साथ-साथ एक मर्चेंट पेमेंट सिस्टम दोनों है जो विभिन्न प्रतिभागियों के संयोजन का उपयोग करके भुगतान लेनदेन के निपटान की सुविधा प्रदान करता है। यूपीआई फंड ट्रांसफर सिस्टम के रूप में आईएमपीएस की तरह है। इसलिए, यह तर्क दिया जा सकता है कि यूपीआई में शुल्क फंड ट्रांसफर लेनदेन के लिए आईएमपीएस में शुल्क के समान होना चाहिए। विभिन्न राशि बैंड के आधार पर एक टियर चार्ज लगाया जा सकता है।”

बता दें, यूपीआई एक डिजिटल लेनदेन सेवा है, जिसकी मदद से आप किसी भी बैंक से अकाउंट केवल एक क्लिक के जरिए भुगतान कर सकते हैं। यूपीआई को भारत सरकार की ओर से 2016 में लॉन्च किया गया था।