देश की दूसरी सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) के अधिग्रहण में दिलचस्पी दिखाने वाली तीन में से दो कंपनियों की ओर से अपनी बोली वापस लेने के बाद सरकार ने कंपनी के निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द कर दिया था। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव तुहिन कांता पांडे ने बीपीसीएल के निजीकरण की फिर से शुरुआत पर एक अपडेट देते हुए कहा है कि अगले 6 महीनों में बीपीसीएल के मामले में निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा।
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पांडे ने कहा, “जहां तक बीपीसीएल के निजीकरण की बात है तो हमें कुछ समय इंतजार करना होगा, हमें स्थिति की समीक्षा करनी होगी। मैं कहूंगा कि अगले 6 महीनों में हमारे लिए चीजें स्पष्ट हो जाएंगी कि हमें बीपीसीएल के मामले में कैसे आगे बढ़ना चाहिए।”
पांडे के मुताबिक, बाजार की मौजूदा स्थिति बीपीसीएल के निजीकरण के लिए अनुकूल नहीं है। बोली लगाने वाली कुछ कंपनियां शुरुआत में आई क्योंकि सेक्टर में बड़े स्तर पर बदलाव हो रहे हैं और अनिश्चितता के कारण से ये कंपनियां बाद में अपनी बोली से पीछे हट गईं। उन्होंने आगे कहा, “अब लोग यह भी महसूस कर रहे हैं कि समय के साथ तेल क्षेत्र में बहुत कम निवेश हुआ है। मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा”
केंद्र सरकार ने विनिवेश के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी। सरकार ने मार्च 2020 में बीपीसीएल को बिक्री के लिए कंपनियों से बोलियां मंगाई थी और नवंबर 2020 तक कम से कम तीन बोलियां आ चुकी थीं। साथ ही, सरकार ने वित्त वर्ष 23 के लिए 65,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य निर्धारित किया है, जो वित्त वर्ष 22 के लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए से काफी कम है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि 65,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य भी महत्वाकांक्षी है।
पांडे के अनुसार, अब तक सरकार को अब तक विनिवेश के जरिए 24,046.40 करोड़ रुपए मिल चुके हैं, जिसमें एलआईसी आईपीओ से होने वाली 20,560 करोड़ रुपये की आय शामिल है।