भारत सरकार ने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में कार्यकारी निदेशक (ED) के पद के लिए भारत के उम्मीदवार के तौर पर नामित किया है। उनकी नियुक्ति को मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (ACC) ने मंजूरी दी है। यह कार्यकाल तीन वर्षों के लिए होगा जो उनके पदभार ग्रहण करने की तारीख से शुरू होगा या फिर अगली आदेश तक मान्य रहेगा।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा गुरुवार (28 अगस्त) को जारी किए गए आधिकारिक आदेश में इस फैसले की पुष्टि की गई। आदेश में कहा गया, “मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (ACC) ने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में कार्यकारी निदेशक (ED) के पद पर नियुक्त किए जाने को मंजूरी दी है। उनकी नियुक्ति पदभार ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्षों के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, मान्य रहेगी।”

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कौन हैं उर्जित पटेल?

उर्जित पटेल ने सितंबर 2016 से दिसंबर 2018 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 24वें गवर्नर के रूप में काम किया है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण आर्थिक बदलाव के दौर में अहम मौद्रिक नीतिगत फैसलों का नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल में देश को नोटबंदी (Demonetisation) के झटकों और वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरुआत जैसी बड़ी आर्थिक चुनौतियों से दिशा देने की जिम्मेदारी शामिल थी।

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उर्जित पटेल का करियर

2016 में बने RBI गवर्नर: रघुराम राजन के बाद उर्जित पटेल को भारतीय रिज़र्व बैंक का 24वां गवर्नर नियुक्त किया गया।

2018 में इस्तीफा: दिसंबर 2018 में सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच लाभांश हस्तांतरण को लेकर मतभेद हुआ, जिसके बाद उन्होंने अचानक पद से इस्तीफा दे दिया।

1998 से 2001 तक उन्होंने भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में सलाहकार के तौर पर काम किया। वे निजी और सार्वजनिक क्षेत्र से भी जुड़े रहे, जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, IDFC लिमिटेड, MCX लिमिटेड और गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन शामिल हैं।

RBI में अन्य भूमिकाएं

गवर्नर बनने से पहले वे RBI के डिप्टी गवर्नर रह चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाली, जिनमें मौद्रिक नीति, आर्थिक नीति अनुसंधान, सांख्यिकी एवं सूचना प्रबंधन, जमा बीमा, संचार और सूचना का अधिकार (RTI) शामिल हैं।

शुरुआती जीवन और करियर

उर्जित पटेल का जन्म 1963 में हुआ था। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। 1986 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से M.Phil किया। 1990 में येल यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी पूरी की।

इसके बाद वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से जुड़े और 1990 से 1995 तक अमेरिका, भारत, बहामास और म्यांमार के डेस्क पर काम किया।

एक अनुभवी अर्थशास्त्री के रूप में उर्जित पटेल का अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लंबे समय से जुड़ाव रहा है। बता दें कि यहां उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में काम किया था। इसके अलावा, उन्होंने सरकार और विभिन्न नीतिनिर्माण निकायों में कई एडवाइजरी पोजिशन पर भी काम किया है, जहां उनका ध्यान मुख्यतौर पर वित्तीय नियमन(Financial Regulation) और सामूहिक आर्थिक स्थिरता (Macroeconomic Stability) पर फोकस रहा है।

आईएमएफ (IMF) में उर्जित पटेल की वापसी को ऐसे फैसले के रूप में देखा जा रहा है जो बहुपक्षीय संस्था (multilateral body) में भारत के प्रभाव को और मजबूत करेगा। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था लगातार महंगाई के दबाव, असमान सुधार (uneven recovery) और भू-राजनीतिक चुनौतियों से जूझ रही है।

केंद्रीय बैंकिंग और राजकोषीय ढांचे (fiscal frameworks) में उनकी विशेषज्ञता से उम्मीद है कि वे आईएमएफ की नीतिगत चर्चाओं में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।