Who is India’s first billionaire: मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, शिव नाडर, रतन टाटा, नारायण मूर्ति, अजीम प्रेमजी जैसे अरबपति कारोबारियों के नाम तो आपने खूब सुने होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत का पहला अरबपति कौन था? आज हम बात करेंगे भारत के पहले अरबपति कहे जाने वाले हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान के बारे में। निजाम को ना सिर्फ भारत बल्कि एक समय ‘दुनिया का सबसे अमीर’ व्यक्ति माना जाता था।
Time Magazine ने 1937 में उस्मान अली खान को ‘दुनिया के सबसे अमीर शख्स’ का तमगा दिया था। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि अभी भी ब्रिटेन के एक बैंक में उनकी 3 अरब रुपये से ज्यादा संपत्ति है। 1940 के दशक में उनकी कुल धन-दौलत 17.5 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी। ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ के अनुसार, निजाम के पास उस समय 20 लाख पाउंड से ज्यादा कैश रकम थी।
उस्मान अली खान ने 1911 में 25 साल की उम्र में ही हैदराबाद की गद्दी संभाल ली थी। दुनिया के सबसे अमीर लोगों में गिने जाने वाले हैदराबाद के सातवें निजाम के पास उस समय गोलकुंडा खदान का मालिकाना हक था। और वह उस युग में डायमंड के सबसे बड़े सप्लायर में से थे।
हैदराबाद के निजाम बनने के तीन साल बाद साल 1914 में पहला विश्व युद्ध छिड़ गया। Outlook की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने ब्रिटेन को इस युद्ध में मटीरियल, मिलिट्री और पैसे से सपोर्ट दिया। इसके अलावा 1917 में Osmania University बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रही। हैदराबाद में यह अपनी तरह का पहला इंस्टीट्यूट था और अभी भी यह प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है।
DNA की एक रिपोर्ट के मुताबिक, निजाम ने जब इस्तीफा दिया था यानी 1940 की शुरुआत में उनकी नेट वर्थ करीब 1700 करोड़ रुपये थी। जो 2024 में करीब 29,5770 करोड़ रुपये के आसपास होती है।
9 करोड़ पाउंड की आमदनी हर साल
जैसा कि हमने बताया कि निजाम मीर उस्मान अली खान गोलकुंडा खदान (Golconda Mines)के मालिक थे। यह खदान दुनिया की 30 प्रतिशत से ज्यादा डायमंड सप्लाई करती थी। जानकारों के मुताबिक, गोलकुंडा खदान के चलते ही निजाम की दौलत में जबरदस्त इजाफा हुआ और उनकी सालाना आमदनी 9 करोड़ पाउंड से भी ज्यादा थी।
जब निजाम की खदान से निकला ‘कोहिनूर’
गोलकुंड खदान से निकलने वाले हीरे अपनी चमक के चलते दूरे देशों में मिलने वाले हीरों से ज्यादा कीमती हुआ करते थे। दुनियाभर में मशहूर कोहिनूर हीरा भी गोलकुंडा की खदान से ही निकला। इसे दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा हीरा कहा जाता है। इसके अलावा पिंक कलर का ‘दरिया-ए-नूर’, नींबू के आकार का ‘जैकब’ हीरा भी इसी खदान से निकला। जैकब हीरे को निजाम एक पेपरवेट की तरह इस्तेमाल करते थे।
गोलकुंडा की खदान से एक से बढ़कर एक बेशकीमती हीरे निकलते थे। दुनिया के चार सबसे बड़े गुलाबी डायमंड इसी खदान से निकले। कुछ साल पहले अमेरिका में 212 करोड़ रुपये में गुलाबी रंग का ‘प्रिंस डायमंड’ हीरा नीलाम हुआ। यह हीरा भी निजाम की गोलकुंडा खदान से ही निकला था।
इतिहासकारों के मुताबिक, निजाम मीर उस्मान अली के महल में ढेरों हीरे, जवाहरात और सोना बिखरा रहता था।
जब भारत और निजाम आए आमने-सामने
हैदराबाद अब भारत का हिस्सा है लेकिन इसका विलय भारत में आसान नहीं था। ‘ऑपरेशन पोलो’ के तहत भारतीय सेना हैदाराबाद गई और युद्ध हुआ। इसके बाद भारत में हैदराबाद का विलय हुआ।
आपको बता दें कि निजाम का झुकाव भारत की तरफ ना होकर पाकिस्तान की तरफ था लेकिन उनकी खुद की इच्छा स्वतंत्र देश स्थापित करने की थी। लेकिन हैदराबाद की बहुसंख्यक आबादी हिंदू थी और भारत में शामिल होना चाहती थी लेकन निजाम को यह मंजूर नहीं था। भारत सरकार द्वारा कई बार विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के आग्रह को निजाम ने ठुकरा दिया। और आखिरकार 36000 भारतीय सैनिक हैदराबाद भेजे गए और फिर शुरू हुआ ऑपरेशन पोलो। निजाम की सेना में भी 24000 सैनिकों के अलावा पठान, रजाकार समेत दूसरे लोग थे। युद्ध हुआ और आखिरकार 5 दिनों में भारतीय सेना ने विजय हासिल की और निजाम को भारत में विलय की शर्त माननी पड़ी।
भारत के बंटवारे के बाद जब देसी रियासतों का विलय हुआ तो हैदराबाद रियासत भी भारत में मिला था। हैदराबाद के विलय के बाद गोलकुंडा की खदान भी भारत सरकार के पास आ गई।