काला धन वापस लाने की मुहिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा दोनों के लिए ही बेहद शर्मिंदगी की वजह बन गई क्योंकि आखिरी तारीख तक सिर्फ 638 खाताधारकों ने अपने काले धन का खुलासा किया था, जिसमें कुल अघोषित संपत्ति 3,770 करोड़ रुपए है।
1 जुलाई से शुरू हुई इस मुहिम के तीन माह बाद सिर्फ इतनी राशि का आना इसकी असफलता की कहानी बयां करता है। इतमा ही राजनीतिक दलों ने भी सरकार की इस असफलता पर चुटकी ली है।
आसान नहीं है काले धन की वापसी…
काले धन की वापसी कोई ब्लैक बॉक्स नहीं है। ऐसे धन को खाताधारक शीघ्र ही रिएल स्टेट, खनन उद्योग या फिर किसी अन्य उद्योग-धंधे में लगा देते है जिससे कि इसके सामने आने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है।
दसूरी एक प्रमुख वजह है आय डोमेन में प्रवर्तन का टैक्स के बड़े पैमाने और छोटे स्तर पर विभाजन, जोकि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों स्तरों पर होता है।
काले धन पर अध्ययन पर करने वाली तीन संस्थाओं (एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम) ने अपनी रिपोर्ट के आधार पर सरकार को इस संबंध में जानकारी दी थी।
ग़ौरतलब है कि वित्त मंत्रालय ने एक अक्टूबर को एक बयान में कहा ‘‘अनुपालन सुविधा के तहत 638 खुलासा-पत्र प्राप्त हुए हैं जिसके तहत 3,770 करोड़ रुपए की अद्योषित विदेशी संपत्ति का खुलासा हुआ। इन आंकड़ों का अंतिम मिलान होना बाकी है।’’
बयान में कहा गया कि 31 दिसंबर 2015 तक उक्त राशि पर 30 प्रतिशत कर और 30 प्रतिशत का जुर्माना अदा करना होगा। इस राशि के बारे में जानकारी देने के तुरंत बाद सरकार ने घोषणा की कि वह उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी जिन्होंने विदेश में जमा काले धन और परिसंपत्ति का खुलासा नहीं किया है।