patanjali ayurved apology misleading Advertisement: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को झूठे दावों वाले विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया है। पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) के एमडी बालकृष्ण और मुखिया योग गुरु रामदेव को देश की शीर्ष अदालत ने अवमानना नोटिस भी जारी किया है। लेकिन खबर यह है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा फटकार लगाने के तुरंत बाद बाबा रामदेव ने माफी मांग ली। माफी में पतंजलि आयुर्वेद ने कहा कि कहा कि उन्हें कंपनी के अपमानजनक वाक्यों वाले विज्ञापनों पर खेद है और दोबारा यह गलती नहीं होगी। लेकिन हम आपको आज उस किस्से के बारे में बता रहे हैं जब रामदेव ने झूठा होने पर मौत की सजा तक देने की बात कह डाली थी।
जब रामदेव ने कहा था- मौत की सजा दी जाए…
21 मार्च 2024 को माफी मांगने वाले बाबा रामदेव के तेवर हमेशा से ऐसे नहीं थे। नवंबर 2023 में कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद रामदेव ने हरिद्वार में कुछ अलग ही दावा किया था। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को नसीहत देते हुए कहा था कि अगर आपके प्रोडक्ट्स का दावा गलत मिला तो 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। तब रामदेव ने कहा था, ‘अगर हम गलत हैं तो 100 नहीं 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाए। यहां तक कि हमें मौत की सजा दे दी जाए।’
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रामदेव ने कहा था, ‘हम सुप्रीम कोर्ट और देश के संविधान का आदर करते हैं। लेकिन हम झूठा प्रोपेगैंडा नहीं कर रहे। डॉक्टरों के एक ऐसे गिरोह ने ऐसी संस्था बना रखी है कि वे प्रचार करते हैं। वे हमारी संस्कृति और सनातन मूल्यों के खिलाफ भी बोलते हैं। उनका झूठा प्रचार है कि बीपी, शुगर, थायरॉइड और लीवर जैसी बीमारियों का कोई इलाज नहीं है। हमारे पास हजारों रीज आते हैं। हमारे पास उन पर ही जो किया गया है, उसके सबूत हैं। हम तो सप्ताह के अंदर 12 से 15 किलो तक वजन कम कर देते हैं। उस वक्त रामदेव ने कहा था कि योग, आयुर्वेद और नेचुरोपैथी को झुठलाने के लिए यह प्रचार चल रहा है कि आयुर्वेद में किसी भी चीज का इलाज नहीं है।’
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद घुटनों के बल रामदेव!
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोर्ट में हाजिर होने के आदेश के बाद पतंजलि आयुर्वेद ने झूठे दावों वाले विज्ञापन के मसले पर हलफनामा दायर किया। इस हलफनामे में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने बिना शर्त माफी मांगी है। कोर्ट में दी गई अंडरटेकिंग में कहा गया कि यह गलती दोबारा नहीं होगी। इसके साथ ही भ्रामक विज्ञापनों को फिर से प्रसारित ना करने का वादा भी किया है। एमडी आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि कंपनी के मीडिया डिपार्टमेंट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी और उनका उद्देश्य नागरिकों को पतंजलि के प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना था।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से कोविड टीकाकरण अभियान और एलोपैथी दवाओं के खिलाफ मुहिम चलाई जा रही है। बता दें कि पतंजलि की तरफ से जारी किए गए विज्ञापनों में शुगर, बीपी, अस्थमा और कई बीमारियों को पूरी तरह से ठीक करने का दावा किया गया था। IMA की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आचार्य बालकृष्ण को हाजिर होने का आदेश दिया था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। और 2 अप्रैल 2024 को अदालत में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के उन विज्ञापनों को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी जिनमें उनके औषधीय प्रभाव का दावा किया गया था।