आज के समय में पैसिव इनकम हर निवेशक के एजेंडे में है। ऐसे समय में जब महंगाई निरंतर बढ़ रही है और सिर्फ सैलरी पर निर्भर रहना काफी कठिन हो गया है, अधिकतर लोग इनकम का दूसरा सोर्स तलाश कर रहे हैं। यही कारण है कि ‘रिच डैड पुअर डैड’ के लेखक और फैमस निवेशक रॉबर्ट कियोसाकी कहते हैं कि पैसिव इनकम फाइनेंशियल फ्रीडम की कुंजी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या कियोसाकी के पैसिव इनकम के नियम भारत जैसे देश में भी उतने ही कारगर हो सकते हैं? आइए जानते हैं…
रॉबर्ट कियोसाकी की इंवेस्टमेंट जर्नी
आज के समय में रॉबर्ट कियोसाकी सबसे फैमस इंवेस्टमेंट गुरुओं में से एक हैं। उनकी किताब ‘रिच डैड पुअर डैड’ ने लाखों लोगों की सोच बदल दी, लेकिन उनका अपना सफर इतना आसान नहीं था। उन्होंने भी वही गलतियां कीं जो आम निवेशक करते हैं और इन्हीं गलतियों से सीखा है।
संपत्ति खरीदें, देनदारियां नहीं
कियोसाकी कहते हैं: “अमीर और गरीब के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि अमीर संपत्ति खरीदते हैं, जबकि गरीब और मध्यम वर्ग देनदारियां खरीदते हैं।”
भारतीय संदर्भ:
मान लीजिए, आपने एक कार खरीदी। अगर उसका इस्तेमाल सिर्फ डेली ऑफिस आने-जाने के लिए किया जा रहा है, तो यह एक देनदारी है क्योंकि पेट्रोल, सर्विसिंग और EMI आपकी जेब खाली कर देंगे।
लेकिन अगर कोई कार खरीदता है और उसे टैक्सी सर्विस में इस्तेमाल करके हर महीने 20,000-25,000 रुपये कमाता है, तो वह एक संपत्ति बन जाती है।
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कैश फ्लो पर ध्यान दें, न कि नेट वर्थ पर
लोग अक्सर पूछते हैं – “आपकी नेटवर्थ कितनी है?” लेकिन कियोसाकी कहते हैं – “असली खेल कैश फ्लो का है”।
कैश फ्लो का अर्थ है: आपके खाते में हर महीने कितनी स्थिर इनकम आती है, जो आपके खर्चों को पूरा कर सके और आपको बचत करने में भी मदद कर सके।
कैश फ्लो बनाने का पहला और सबसे लोकप्रिय तरीका रियल एस्टेट से किराये की आय है। दूसरा विकल्प डिविडेंड देने वाले शेयर हैं।
सबसे बड़ा निवेश वित्तीय शिक्षा
कियोसाकी का कहना है कि पैसे गंवाने का सबसे बड़ा कारण अज्ञानता है।
रिच डैड पुअर डैड के लेखक सही हैं क्योंकि अमेरिका जैसे देशों में बच्चों को स्कूल स्तर पर ही वित्तीय साक्षरता सिखाई जाती है, जबकि भारत में अधिकतर लोग अभी भी निवेश के नाम पर खुद को एफडी, सोना और बीमा तक ही सीमित रखते हैं।
हालांकि, अब स्थिति तेजी से बदल रही है। निवेशक जागरूकता कार्यक्रम, साथ ही सोशल मीडिया और फिनटेक ऐप्स – सभी मिलकर लोगों तक वित्तीय शिक्षा पहुंचा रहे हैं।
जब आप एसेट और लायबिलिटी के बीच का अंतर समझ जाते हैं, तभी आप गलत निवेश से बच सकते हैं। जब आप टैक्स नियमों और पेंशन योजनाओं को जानते हैं, तभी आप पैसिव इनकम बढ़ा सकते हैं।
[डिस्क्लेमर: ये आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से निवेश सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। Jansatta.com अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।]