सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दूरसंचार विभाग (DoT) की उस याचिका को मंजूरी दी थी जिसमें टेलिकॉम कंपनियों को 92 हजार करोड़ से ज्यादा का बकाया अदा करना है। कोर्ट के इस फैसले के बाद एजीआर यानि समायोजित सकल राजस्व में लाइसेंस और स्पेक्ट्रम फीस के अलावा यूजर चार्जेज, किराया, डिविडेंट्स और पूंजी की बिक्री के लाभांश को भी शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस कड़े फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया केंद्र सरकार की शरण में पहुंच चुकी है। कंपनी ने सरकार से राहत की गुहार लगाई है।

कंपनी ने कहा है कि यह समायोजित सकल राजस्व के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के वित्तीय प्रभावों की समीक्षा कर रहा था। फैसले के वित्तीय निहितार्थ हैं, हम इसपर समीक्षा कर रहे हैं। हम DoT के से इस पर राहत देने की मांग कर कर रहे हैं, जिसमें ब्याज और जुर्माने की छूट भी शामिल है।

गौरतलब है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद 9 दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है। इसमें एयरटेल भी शामिल है। फैसले से टेलीकॉम कंपनियों को जुर्माने के रूप में बड़ी रकम चुकानी पड़ सकती है। कोर्ट ने कहा है कि यह रकम कितने समय में चुकानी होगी यह कोर्ट ही तय करेगी।

वहीं इस फैसले के बाद, वोडाफोन आइडिया के शेयर 23.36% गिर गए। शुक्रवार को भी कंपनी के शेयरों में और गिरावट दर्ज की गई थी। डीओटी की कैल्कुलेशन के मुताबिक वोडाफोन आइडिया को कुल 28,309 करोड़ रुपए भरने होंगे जिसमें लाइसेंस शुल्क पर 13,006 करोड़ रुपए का ब्याज, 3206 करोड़ रुपए पेनल्टी और पेनल्टी पर 5,226 करोड़ रुपए का ब्याज शामिल है। अगर कंपनी को इतनी रकम भरनी पड़ी तो उसके लिए यह बड़ा वित्तीय नुकसान होगा।

क्या है मामलाः बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों को DoT को लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के बदले एक तय फीस देनी होती है। जिसे AGR (समायोजित सकल राजस्व) कहा जाता है। विवाद ये था कि टेलीकॉम कंपनियों ने यूनिफाइड ऑपरेटर्स एसोसिएशन के जरिए दावा किया कि एजीआर में सिर्फ स्पेक्ट्रम और लाइसेंस फीस शामिल होती है।