तंबाकू के सेवन से सेहत पर पड़ने वाले घातक प्रभाव को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे सदी की सबसे बड़ी बीमारी करार दिया है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों में यह तथ्य सामने आ चुका है कि गैर-संक्रामक रोगों का सबसे बड़ा कारण तंबाकू का सेवन है।
विशेषज्ञों के मुताबिक गुटखा, खैनी और अन्य चबाए जाने वाले तंबाकू उत्पाद खासकर मुंह के कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, इनसे गले और सांस की नली का कैंसर भी हो सकता है।
लेकिन विडंबना है कि तंबाकू उत्पादों के खतरों के बारे में ज्यादातर लोगों को पता होने के बावजूद वे इन्हें छोड़ने का प्रयास नहीं करते। सभी जानते हैं कि ऐसी आदतें इन उत्पादों का सेवन करने वालों के संपर्क में आने और शौक के चलते शुरू होती हैं और बाद में मजबूरी बन जाती हैं। लेकिन यह समस्या जितनी समाज में पैदा होती है, उतनी ही इसके लिए सरकार भी जिम्मेदार है।
जब सरकार को पता है कि ये उत्पाद लोगों की सेहत के लिए खतरनाक होते हैं, तो ये खरीदे या बेचे जाने के लिए बाजार में खुले तौर पर कैसे उपलब्ध रहते हैं? साफ है कि पाबंदी एक सीमा में बेहतर उपाय जरूर है, लेकिन तंबाकू उत्पादों से पैदा होने वाले खतरों से निपटने के लिए इनके उत्पादन पर भी रोक होनी चाहिए।
हिमांशु गोस्वामी, प्रीत विहार, बुलंदशहर
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