सरकार ने बुधवार (4 मई) को बताया कि महत्त्वाकांक्षी ‘सागरमाला’ परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए आने वाले समय में 10 लाख करोड़ रुपए के निवेश की योजना है। इसमें पोत व बंदरगाह समेत अन्य आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 4 लाख करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया है। पोत परिवहन, सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को आगे बढ़ाने के लिए यह महत्त्वपूर्ण होगा।’ उन्होंने कहा कि इसके तहत 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास किया जाएगा। इससे करीब एक करोड़ रोजगार सृजित किए जा सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का जिक्र करते हुए गडकरी ने कहा कि आने वाले 10 साल में पोत व बंदरगाह आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 4 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। मुंबई में आयोजित मैरी टाइम इंडिया शिखर सम्मेलन के विषय पर अपने वक्तव्य में गडकरी ने कहा कि इस सम्मेलन के दौरान 140 व्यापारिक करार किए गए। इन 140 परियोजनाओं का निवेश मूल्य करीब 13 अरब डालर (83 हजार करोड़ रुपए) है। उन्होंने कहा कि पोत परिवहन मंत्रालय ने इस शिखर सम्मेलन में 240 परियोजनाओं को प्रदर्शित किया जो आगामी वर्षों में भारत में इस क्षेत्र में निवेश के अवसर प्रस्तुत करती है। इन परियोजनाओं का निवेश संभाव्य करीब 66 अरब डालर है।
मंत्री ने कहा कि निवेश प्रस्तावों पर आगे की कार्रवाई के लिए और संभावित निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए पोत परिवहन मंत्रालय में एक निवेश सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है ताकि निवेशकों को मदद की जा सके और व्यापारिक करार के बारे में अनुवर्ती कार्रवाई करने में सहायता प्रदान की जा सके।
गडकरी ने कहा कि मैरीटाइम इंडिया समिट का आयोजन मुंबई में 14 से 16 अप्रैल के दौरान किया गया था। शिखर सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय मैरीटाइम सेक्टर की संभावनाओं के संबंध में जागृति पैदा करना और निवेश की संभावनाओं को प्रस्तुत करना है और इसका फोकस भारत को आकर्षक निवेश स्थल के रूप में प्रस्तुत करना था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल को बाबा साहब भीम राव आंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर इसका उद्घाटन किया था जो भारत के संविधान निर्माता और भारत की नदी नौचालन नीति के सृजक रहे हैं। इसी परीप्रेक्ष में प्रधानमंत्री ने सागरमाला कार्यक्रम की राष्ट्रीय योजना पेश की थी। इससे पोत और राष्ट्रीय जलमार्ग राष्ट्रीय विकास एजंडा के केंद्र में स्थापित हो गए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरिया गणराज्य इस शिखर सम्मेलन का भागीदार राष्ट्र था। पूरे विश्व में 5200 से अधिक प्रतिनिधि मंडलों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया और इसमें कई सत्रों का आयोजन किया गया था।