देश में बेकार पड़े 1,000 अरब डॉलर मूल्य के सोने को बाजार में लागने की सरकार की कोशिशों के बीच सभी की नजरें ऐसे सोने के बड़े भंडार रखने वाले मंदिरों पर है। लेकिन इनमें से कई मंदिरों के संचालकों को इस बात की आशंका है कि श्रद्धालुओं से दान में मिले स्वर्ण आभूषणों व वस्तुओं को सरकारी योजना के लिए गलाने से कहीं धार्मिक भावनाएं तो नहीं आहत होंगी।
देशभर में विभिन्न स्थानों पर समृद्ध व प्रसिद्ध मंदिरों के अधिकारियों ने इस बारे में बातचीत में कहा कि सरकार की स्वर्ण मौद्रीकरण योजना में तत्काल भागीदारी करना उनके लिए शायद ही संभव हो। कुछ मंदिरों के अधिकारियों ने कहा कि यह योजना गौर करने लायक है पर इस पर उन्होंने अभी कोई फैसला नहीं किया है। केरल में श्रीपद्मनाभ स्वामी मंदिर और महाराष्ट्र में शिरडी साईं बाबा मंदिर जैसे कुछ मंदिरों के लिए अदालत में चल रहे मामले रास्ते में रोड़ा बन रहे हैं। केरल, कर्नाटक, तेलंगाना और राजस्थान में प्रमुख मंदिरों से इस योजना के प्रति ठंडी प्रतिक्रिया मिली है। आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात में कुछ मंदिरों ने इसमें रुचि दिखाई है। इनमें से ज्यादातर मंदिर आभूषण को गलाने की प्रक्रिया में मूल्य क्षरण व मंदिर के देवी-देवताओं के नाम पर स्वर्ण आभूषण दान करने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना आहत होने जैसे मुद्दों को लेकर चिंतित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पिछले महीने शुरू की गई महत्त्वाकांक्षी स्वर्ण मौद्रीकरण योजना का लक्ष्य मकानों, धार्मिक संस्थानों और अन्य जगहों पर पड़े अनुमानित 22,000 टन सोने को वित्तीय प्रणाली में लाना है। सोने को आभूषण के रूप में भी जमा किया जा सकता है, लेकिन बैंक उसे पिघला कर उसकी शुद्धता की जांच के बाद जमा आभूषणों का मूल्य तय करते हैं।
गुजरात में विभिन्न मंदिरों में प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर ने फिलहाल इस योजना के लिए सोना जमा करने से मना कर दिया है। सोमनाथ मंदिर ने इस बारे में एक प्रस्ताव तैयार किया है। अंतिम फैसला मंदिर के ट्रस्टी करेंगे। द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर को इस पर फैसला करना है। लेकिन मंदिर न्यास समिति के चेयरमैन एचके पटेल ने कहा कि योजना विचार करने योग्य है।
मुंबई में प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर ने योजना में दिलचस्पी दिखाई है। वह अपने 160 किलो सोने के भंडार का उपयोग करने के विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसमें से करीब 10 किलो सोना पहले ही एक बैंक के पास जमा किया जा चुका है। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की उच्च स्तरीय निवेश समिति इस योजना के तहत सोना जमा करने के मुद्दे पर विचार के लिए जल्द ही बैठक करेगा। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में कनकदुर्गाम्मा मंदिर की इस योजना में भागीदारी करने की कोई योजना नहीं है।