टाटा मोटर्स पर आश्रित पिंपरी-चिंचवड में इलेक्ट्रो-प्लेटिंग इंडस्ट्री के कारोबार में रिकॉर्ड 40-45 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। पुणे में लगभग 250 इलेक्ट्रो-प्लेटिंग कारखानों में से 100 अकेले पिंपरी-चिंचवड में हैं। ये छोटी इकाईयां हैं जो 10 से 20 लोगों को रोजगार देती हैं। करीब 70 फीसदी रोजगार इन्हें टाटा मोटर्स से मिलता है। इस साल मई की शुरुआत से टाटा मोटर्स के कारोबार में कमी देखने को मिली है, इससे इलेक्ट्रो-प्लेटिंग के कारोबार में अपने आप मंदी आ गई।

टाटा मोटर्स ने 28 से 31 अगस्त के बीच पिंपरी-चिंचवड में ‘ब्लॉक क्लोजर’ का फैसला लिया था। ऐसा पिछले माह में दो बार हुआ। अब खबर है कि एक और ‘ब्लॉक क्लोजर’ अगले सप्ताह अमल में लाया जा सकता है। ऐसा इसलिए है कि कंपनी की कारों और भारी वाहनों की मांग में काफी गिरावट आई है।

महाराष्ट्र में स्थित पार्श्वनाथ मेटल प्रोसेसर्स (आई) प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ संजीव शाह ने कहा, ‘ब्लॉक क्लोजर की वजह से एक यूनिट को दो दिनों के लिए बंद करना पड़ा।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी लघु स्तरीय इकाईयों में से एक इलेक्ट्रो प्लेटिंग बुरी तरह प्रभावित हुई है। कारोबार घटकर केवल बीस फीसदी रह गया है। दूसरी यूनिटों में भी बिजनेस पचास फीसदी तक कम हो गया है।’

शाह ने कहा, ‘पहले हर महीने हमें टाटा मोटर्स से आठ लाख रुपए के ऑडर्स मिलते थे। अब यही ऑर्डर घटकर 2.5 रुपए पर पहुंच गए हैं।’ इलेक्ट्रो प्लेटिंग बिजनेस में वाहनों में इस्तेमाल होने वाले नट और बोल्ट व अन्य धातुओं को जंग से बचाने के लिए प्लेटिंग की जाती है। इससे धातुओं की क्वालिटी भी अच्छी होती है और इसके इस्तेमाल की क्षमता में सुधार होता है।

शाह के मुताबिक पिछले पांच-छह सालों से कारोबार मंदा हो गया है जब से टाटा मोटर्स ने अपने ज्यादातर बिजनेस को शिफ्ट करना शुरू कर दिया। इसने अपने कुछ लोकप्रिय मॉडलों के निर्माण को दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया। इसका परिणाम यह निकला की पुणे और पिंपरी-चिंचवड में इस बिजनेस से जुड़ी छोटी इकाईयां एक स्थान पर आ गई। और अब ब्लॉक क्लोजर ने चीजों को और भी बदतर बना दिया है।

भोसरी स्थित प्लेट मास्टर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीनिवास राठी ने कहा कि उनके कारोबार में कम से कम से चालीस फीसदी की गिरावट देखी गई। उन्होंने कहा कि हम टाटा मोटर्स के लिए 500 तरह के उत्पाद बनाते थे और महीने में 2.5 करोड़ का बिजनेस करते थे। हालांकि अब इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर एक करोड़ रुपए तक पहुंच गया।