टाटा ग्रुप हाल के दिनों में नए सेक्टर्स में तेजी से कदम रख रहा है। अब टाटा ग्रुप अपनी कंपनी नेल्को के जरिए सेटेलाइट ब्रॉडबैंड सेगमेंट में उतरने की योजना बना रही है। इसको लेकर नेल्को की कनाडियन कंपनी टेलेसैट से बातचीत चल रही है। दोनों कंपनियों के बीच फास्ट सैटेलाइट ब्रॉडबैंड लॉन्च करने के लिए समझौते को लेकर एडवांस्ड स्तर पर बातचीत चल रही है।

नेल्को के मैनेजिंग डायरेक्टर पीजे नाथ ने इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा कि नेल्को और टेलेसैट के बीच भारत में लाइटस्पीड LEO (लो-अर्थ ऑर्बिट) सैटेलाइट सेवाएं देने को लेकर मास्टर सर्विस एग्रीमेंट (MSA) होगा। अभी इस कमर्शियल एग्रीमेंट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चलस रही है। उन्होंने कहा कि नेल्को की टेलेसैट के साथ मिलकर नया जॉइंट वेंचर बनाने की कोई योजना नहीं है। नेल्को अभी कंपनियों को सैटेलाइट से जुड़ी सेवाएं देती है।

भारत में एंट्री करने वाली चौथी कंपनी होगी टेलेसैट: टाटा ग्रुप की नेल्को के साथ समझौते के बाद टेलेसैट भारत में एंट्री करने वाली चौथी ग्लोबल सैटेलाइट कंपनी बन जाएगी। अभी वनवेब, स्पेसएक्स और अमेजन भारत में सैटेलाइट के जरिए ब्रॉडबैंड सेवाएं देने की योजना बना रही हैं। टेलेसैट की योजना 28 गीगाहर्टज के बैंड पर ब्रॉडबैंड सेवाएं देने की योजना बना रही है। यह बैंक वैश्विक स्तर पर K0-Band के नाम से जाना जाता है।

भारत में तेजी से बढ़ रहा है सैटेलाइट ब्रॉडबैंड बाजार: भारत में अभी तक बड़े हिस्से में ब्रॉडबैंड की पहुंच नहीं है। 70 फीसदी से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र अभी तक सेलुलर या फाइबर कनेक्टिविटी से नहीं जुड़ा है। लो-अर्थ ऑर्बिट से ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से ब्रॉडबैंड सेवाएं पहुंचाई जा सकती हैं। हालांकि, अभी यह सेवा काफी महंगी है। जानकारों का कहना है कि भारत में ब्रॉडबैंड सैटेलाइट बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इस मार्केट में 1 अरब डॉलर के सालाना रेवेन्यू का अवसर है।

2024 तक 298 सैटेलाइट का समूह बनाना चाहती है टेलेसैट: कनाडा की कंपनी टेलेसैट 2024 तक 298 लो-अर्थ सैटेलाइट का समूह बनाना चाहती है। इस पर कंपनी करीब 5 अरब डॉलर का निवेश करेगी। इस सैटेलाइट समूह से भारत में भी सेवाएं दी जाएंगी। वनवेब और स्पेसएक्स अगले साल से भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं देने के लिए तैयार है।

क्या होता है सैटेलाइट ब्रॉडबैंड?: सैटेलाइड ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्टिविटी का ही एक रूप है। इसमें यूजर्स को सीधे सैटेलाइट के जरिए ही इंटरनेट कनेक्टिविटी मिलती है। जिन क्षेत्रों में सेलुलर या फाइबर के जरिए इंटरनेट पहुंचाना संभव नहीं है, वहां पर सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के जरिए आसानी से इंटरनेट पहुंचाया जा सकता है। कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने ब्रॉडबैंड सैटेलाइट को लेकर नियमों में बदलाव भी किया था।

सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट में भी उतरने की योजना: टाटा ग्रुप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट में भी उतरने की योजना बना रहा है। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने सोमवार को एक कार्यक्रम में यह बात कही थी। चंद्रशेखरन ने कहा था कि कोरोना महामारी और ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित होने के कारण सेमीकंडक्टर की किल्लत चल रही है। इस मौके का लाभ उठाने के लिए टाटा ग्रुप इस सेगमेंट में उतरने की योजना बना रहा है।