Ratan Tata Interview: दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने अपने इंटर्नशिप के दौर को याद करते हुए कहा कि वह एक तरह से वक्त की बर्बादी थी। टाटा मोटर्स में अपने ट्रेनिंग के दिनों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘वह पूरी तरह से वक्त की बर्बादी था। मैं इस विभाग से उस विभाग में घूमा करता था, लेकिन कोई मुझे यह नहीं बताता था कि असल में मुझे क्या करना है। मुझे लगता है, वहां मेरे को परिवार के सदस्य के तौर पर देखा जाता था। इसलिए कोई मुझसे कुछ कहता नहीं था। लेकिन मैंने वहां खुद को उपयोगी दिखाने की कोशिश करते हुए 6 महीने गुजारे थे।’

झारखंड के जमशेदपुर में अपने ट्रेनिंग के दिनों का यह जिक्र रतन टाटा ने सोशल मीडिया पेज ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है। रतन टाटा के साक्षात्कार का यह दूसरा हिस्सा है। इससे पहले उन्होंने वेलेंटाइन डे से एक दिन पहले अपनी लव स्टोरी का जिक्र करते हुए बताया था कि कैसे भारत और चीन में युद्ध के चलते उनकी शादी होते-होते रह गई थी।

रतन टाटा ने कहा कि भले ही इंटर्नशिप में मजा नहीं आया, लेकिन टाटा स्टील में मेरी पहली नौकरी मजेदार रही। उन्होंने कहा कि जब मैं टाटा स्टील से जुड़ा तो मुझे कुछ असाइनमेंट सौंपे गए। मैंने एक दिन निचले स्तर से शुरुआत की और उन सभी लोगों के बारे में समझता था, जो हमारे करीब काम करते थे।

उन्होंने कहा कि यही वजह थी कि टाटा स्टील में कर्मचारियों की संख्या को जब 78,000 से घटाकर 40,000 किया गया तो हमने यह सुनिश्चित किया कि हटाए जाने वाले लोगों को रिटायरमेंट तक का पूरा पैसा दिया जाए। यह हमारे डीएनए में है, जिसके साथ हम कारोबार करते रहे हैं। 82 वर्षीय रतन टाटा ने जमशेदपुर में बिताए 6 सालों को याद करते हुए कहा कि मेरा शौक आर्किटेक्चर था। मैं घरों को डिजाइन किया करता था। हालांकि इस दौर में भी मैं कारोबार के लिए पूरी तरह से समर्पित था।