कर्ज को लेकर मुश्किलों में घिरे अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही उनकी कंपनी रिलायंस कैपिटल की नीलामी प्रक्रिया से पांच बड़े बोलीदाताओं ने अपनी बोलियों को वापस ले लिया है। अब केवल बड़े बोलीदाताओं में केवल पीरामल इंटरप्राइजेज का नाम ही बचा है। गौरतलब है कि रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए इस साल मार्च में 54 कंपनियों ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOIs) जमा कराए थे।
हमारे सहयोगी फाइनेंशियल एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि बोली वापस लेने वाली कंपनियों में दुनिया की सबसे बड़ी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकस्टोन, एचडीएफसी एर्गो, आईसीआईसीआई लॉमबर्ड, टाटा ग्रुप और अडानी ग्रुप शामिल हैं। इससे पहले टाटा संस की सब्सिडी टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी रिलायंस कैपिटल के जनरल इंश्योरेंस के कारोबार को खरीदने की बोली को वापस ले चुकी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पीरामल एंटरप्राइजेज अभी भी कंपनी को खरीदने के लिए यस बैंक और टोरंटो ग्रुप से बातचीत कर रहा है। इसके साथ-साथ रिलायंस के जनरल इंश्योरेंस कारोबार में ज़्यूरिख़ इंश्योरेंस और चोलामंडलम ग्रुप भी रुचि दिखा रहा है।
कंपनी के लेनदारों की ओर से पेश किए गए रिक्वेस्ट फॉर रेजोल्यूशन प्लान (RFRP) के अनुसार उनके पास दो विकल्प मौजूद हैं। पहला या तो फिर वह पूरी कंपनी के कारोबार और संपत्ति को एक साथ बेच दें या फिर कंपनी की सभी सहायक कंपनियों की अलग-अलग बिक्री को बढ़ाया जाएं। रिलायंस कैपिटल की सहायक कंपनियों में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस, रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस, रिलायंस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी, रिलायंस सिक्योरिटीज, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस होम फाइनेंस हैं।
कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) की 16 जून को हुई बैठक में बोली जमा करने की डेडलाइन को आगे बढ़ा दिया गया है। इससे पहले भी रिलायंस कैपिटल के लिए बोली जमा करने की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया था।
पिछले साल 29 नवंबर को कर्ज चुकाने में देरी के कारण आरबीआई की ओर से रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को सस्पेंड कर दिया गया था। इसके साथ ही कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया को भी शुरू कर दी गई थी। बाद में अप्रैल 2022 में कंपनी के दो लेनदारों क्रेडिट सुईस और एक्सिस बैंक ने 760 करोड रुपए के कर्ज की वसूली के लिए कंपनी को एनसीएलटी में ले गए, जिसके बाद फरवरी में कंपनी की संपत्ति और कारोबार को बेचने के लिए कंपनियों से बोलियां मंगाई गईं।