देश की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन और फ्लिपकार्ट को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोनों कंपनियों के खिलाफ कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की जांच जारी रहनी चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों कंपनियों की जांच को रोकने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने फ्लिपकार्ट और अमेजन के खिलाफ 2020 में जांच का आदेश दिया था। इन दोनों कंपनियों पर कुछ खास सेलर्स को कथित तौर पर बढ़ावा देने के लिए प्रतिस्पर्धा व्यवहार विरोधी (Anti-Competitive Behavior) अपनाने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच का कहना है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों को खुद ऐसी जांच में सहयोग करना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने CCI के नोटिस का जवाब देने के लिए अमेजन और फ्लिपकार्ट चार सप्ताह का समय और दे दिया। अमेजन और फ्लिपकार्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका: CCI की जांच के फैसले के खिलाफ अमेजन और फ्लिपकार्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी। कर्नाटक हाईकोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की थी कि अगर दोनों कंपनियों ने किसी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया है तो उन्हें जांच से नहीं डरना चाहिए। साथ ही हाईकोर्ट बेंच ने दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों की याचिका खारिज कर दी थी।
कैट और दिल्ली व्यापार महासंघ ने लगाया था आरोप: अमेजन और फ्लिपकार्ट पर लंबे समय से सेलर्स के साथ भेदभाव करने के आरोप लगते रहे हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी कैट और दिल्ली व्यापार महासंघ भी दोनों कंपनियों पर ग्राहकों को ज्यादा डिस्काउंट देने और कुछ सेलर्स को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा चुके हैं।
विदेशी निवेश से जुड़े नियमों में फंसी फ्लिपकार्ट: वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट पर विदेशी निवेश से जुड़े नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा है। इसको लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजा है। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि नियमों के उल्लंघन के कारण कंपनी पर 10 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना क्यों ना लगाया जाए? फ्लिपकार्ट पर 2009 से 2015 के दौरान नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। कंपनी के प्रवक्ता ने भी प्रवर्तन निदेशालय का नोटिस मिलने की बात स्वीकारी है।