भारत के 100 अरब डॉलर के इस्पात उद्योग के लिए अगस्त का महीना सुधार वाला रहा। इस दौरान उसके आयात में कमी आई जबकि निर्यात और खपत में वृद्धि देखी गई। दो महीनों की लगातार गिरावट के बाद देश में इस्पात का उपभोग बढ़ा और जुलाई के मुकाबले बढ़कर अगस्त में यह 69.7 लाख टन पहुंच गया। इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात संयंत्रों की संयुक्त समिति (जेपीसी) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार विश्व के तीसरे सबसे बड़े इस्पात उत्पादक देश भारत में इस साल अगस्त में जुलाई के मुकाबले इस्पात उत्पादन में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि आई जबकि सालाना आधार पर यह वृद्धि एक प्रतिशत रही। आंकड़ों के अनुसार इस वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि में पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले भारत में कुल तैयार इस्पात का उपभोग 1.3 प्रतिशत बढ़कर 3.374 करोड़ टन रहा।

इससे पहले जून और जुलाई में इस्पात की मांग में लगातार गिरावट देखी गई थी। जुलाई 2016 में जून के मुकाबले इसकी मांग सात प्रतिशत घटकर 63 लाख टन रही थी जबकि जून 2016 में मई के मुकाबले इसकी मांग में आठ प्रतिशत की कमी आई थी और यह 68 लाख टन थी। इसी के साथ अप्रैल-अगस्त की अवधि में इस्पात उद्योग के लिए एक अच्छी खबर यह रही कि इसके आयात में पिछले साल के मुकाबले 34.5 प्रतिशत की कमी आई और यह 30.12 लाख टन रहा। आंकड़ों के अनुसार अगस्त 2016 में इस्पात आयात अगस्त 2015 के मुकाबले 36 प्रतिशत कम रहकर 6.19 लाख टन रहा। हालांकि इस दौरान भारत कुल तैयार इस्पात का शुद्ध आयातक बना रहा।

अप्रैल-अगस्त 2016-17 में कुल तैयार इस्पात का निर्यात पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 23.6 प्रतिशत बढ़कर 23.8 लाख टन रहा। अगस्त 2016 में इस्पात का निर्यात 6.8 लाख टन रहा। आलोच्य अवधि में पिछले साल के मुकाबले कच्चे इस्पात का उत्पादन सात प्रतिशत बढ़कर 3.998 करोड़ टन रहा। अगस्त 2016 में कुल इस्पात उत्पादन पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 9.8 प्रतिशत बढ़कर 81.8 लाख टन रहा।