उत्तर प्रदेश में 2,100 करोड़ रुपए के भारी बकाए को लेकर चिंतित कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान ने सोमवार (20 जून) को कहा कि प्रदेश सरकार को चूक करने वाली चीनी मिलों का अधिग्रहण कर लेना चाहिए और उसके मालिकों को गिरफ्तार करना चाहिए। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में किसानों के गन्ने का कुल बकाया करीब 2,118 करेड़ रुपए है। इसमें से अधिकांश 1,800 करोड़ रुपए का बकाया चार चीनी मिलों का है।
बालियान ने यहां कहा कि उत्तर प्रदेश में गन्ने का बकाया एक बड़ा मुद्दा है। मवाना, मोदी, सिंभौली और राणा शुगर्स जैसी चार मिलों पर गन्ना उत्पादकों का 1,800 करोड़ रुपए का बकाया है। चूक करने वाले मिल मालिकों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। प्रदेश सरकार को ऐसी मिलों का अधिग्रहण कर लेना चाहिए। केंद्र सरकार इस संदर्भ में उनकी मदद करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कानून होने के बावजूद ऐसी चूक करने वाली चीनी मिलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है। अगर सरकार एक मिल के खिलाफ कार्रवाई करे तो बाकी मिलें किसानों का भुगतान शुरू कर देंगी। उन्होंने कहा कि चीनी की कीमतें चीनी मिलों के लिए अनुकूल स्तर पर हैं और उन्हें भुगतान तेजी से करना चाहिए। बजाज हिंदुस्तान ने अपने बकाए के 50 फीसद भाग की अदायगी कर दी है जबकि शेष अभी किया जाना बाकी है।
मुजफ्फरनगर से भाजपा के लोकसभा सांसद बालियान ने कहा कि कई पत्र लिखे जाने के बावजूद प्रदेश सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। उद्योग जगत के सूत्रों के अनुसार चार चीनी मिलें गन्ने का बकाया नहीं चुका पाई हैं क्योंकि उन्हें बैंकों से कार्यशील पूंजी की प्राप्ति नहीं हुई। बाजार में चीनी बेचने के बाद वे गन्ने का बकाया अदा कर पाएंगे। इन चीनी मिलों का नकदी संकट गहरा गया है। प्रदेश सरकार उनके बिजली के बकाए को अभी तक मंजूरी नहीं दी है। इन चीनी मिलों को पिछले साल आसान ब्याज दर वाले कर्ज नहीं दिए गए।
देश में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 2015-16 के विपणन वर्ष (अक्तूबर से सितंबर) में घटकर 68 लाख टन रह जाने का अनुमान है जो उत्पादन उसके पिछले साल में 71 लाख टन का हुआ था। चालू साल के लिए पेराई का काम पूरा हो चुका है। चीनी उत्पादन में कमी का मुख्य कारण बेमौसम बरसात के कारण गन्ने की उपज में गिरावट आना था।