इस सप्ताह एक रेडिट यूजर की पोस्ट वायरल हुई, जिसका शीर्षक था -“इस स्टार्टअप संस्कृति को रोकने की जरूरत है”। उसने देश की बिगड़ते स्टार्टअप कल्चर की आलोचना की। उसने खास तौर पर जोमैटो और ब्लिंकिट का उदाहरण दिया। उसने कहा कि कैसे कंपनी के मुनाफे में तेज गिरावट आई, लेकिन इसके बावजूद इसके फाउंडर और CEO दीपिंदर गोयल की जिंदगी और संपत्ति लगातार बढ़ती रही।

मई में, जोमैटो और ब्लिंकिट की मूल कंपनी इटरनल लिमिटेड ने बताया कि FY25 की चौथी तिमाही में उसका नेट प्रॉफिट साल-दर-साल 78% घटकर 39 करोड़ रुपये रह गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 175 करोड़ रुपये था। कंपनी को भारी नुकसान होने की संभावना के विपरीत, गोयल अपनी रियल एस्टेट प्रोफाइल में उल्लेखनीय ग्रोथ करके शीर्ष पर पहुंचे।

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दीपिंदर गोयल के रियल एस्टेट संबंधी फैसले चर्चा में, रेडिटर ने भारतीय स्टार्टअप कल्चर पर निशाना साधा

कुछ ही दिन पहले, जोमैटो के CEO ने गुरुग्राम के DLF कैमेलियास में 52 करोड़ रुपये का एक आलीशान अपार्टमेंट खरीदकर सुर्खियां बटोरी थीं, जो 10,813 वर्ग फुट में फैला है। यह नई प्रॉपटी, उनके 50 करोड़ रुपये के महरौली प्लॉट और डेरा मंडी गांव में 2024 में खरीदी गई 5 एकड़ जमीन के साथ, अब उनकी 1.6 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति का हिस्सा है।

हालांकि, इस अल्ट्रा-लग्जरी खरीदारी ने इस हफ्ते ही लोगों का ध्यान खींचा, लेकिन जैपकी द्वारा प्राप्त डॉक्यूमेंट्स से पता चला कि गोयल ने वास्तव में यह भारी-भरकम राशि खर्च की और अगस्त 2022 में संपत्ति को अपना बना लिया। इसके लिए हस्तांतरण विलेख 17 मार्च, 2025 को रजिस्टर किया गया था।

रेडिटर ने कहा, “ब्लिंकिट लगातार पैसा बर्बाद कर रहा है और इस डूबती हुई बैलेंस शीट के बीच, फाउंडर दीपिंदर गोयल गुरुग्राम के DLF कैमेलियास में 52 करोड़ रुपये के महल में शिफ्ट होने में व्यस्त हैं, जिसमें 5 पार्किंग, एक गोल्फ कोर्स, निजी लिफ्ट और सिर्फ स्टाम्प ड्यूटी पर 3.66 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि गोयल का उदाहरण “कोई एक बार की घटना नहीं” है, बल्कि वास्तव में “भारत में सड़ते हुई स्टार्टअप कल्चर का प्रतिबिंब है जो प्रदर्शन की बजाय पैसे के आकर्षण, आंकड़ों की बजाय कहानी को महत्व देती है, और जहां IPO फाउंडर्स के लिए अरबपतियों के क्लब में प्रवेश द्वार हैं।”

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जोमैटो CEO के कार कलेक्शन पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने के बाद उठे सवाल

जोमैटो के को-फाउंडर ने इस वर्ष की शुरुआत में अपने कार कलेक्शन में एक लेम्बोर्गिनी हुराकैन स्टेराटो (Lamborghini Huracan Sterrato) भी शामिल कर ली थी। कथिक तौर पर .6 करोड़ रुपये की इस खरीद के अलावा, माना जा रहा है कि उनकी अन्य कार कलेक्शन में एक बेंटले कॉन्टिनेंटल जीटी W12 मुलिनर एडिशन, एक बीएमडब्ल्यू M8 कॉम्पिटिशन, एक एस्टन मार्टिन DB12 और एक फेरारी रोमा शामिल हैं।

रेडडिटर के ऑनलाइन गुस्से भरे बयान में इस सुपरकार कलेक्शन का भी जिक्र हुआ। यूजर्स ने आगे कहा, ‘हर दिन यूजर्स भारी-भरकम दाम चुकाते थे और डिलीवरी पार्टनर्स की कमर टूट जाती थी। फिर भी जब मुनाफा कम होता है तो हमें धैर्य रखने के लिए कहा जाता है, जबकि फाउंडर्स चुपचाप NCR के सबसे महंगे पते पर अपग्रेड कर लेता है।’

उन्होंने पोस्ट के आखिरी में कहा, ‘अगर आपकी कंपनी का मुनाफा विकास के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन आपका फाउंडर सिर्फ स्टाम्प ड्यूटी के रूप में ₹3.5 करोड़ का भुगतान कर सकता है, तो कुछ गड़बड़ है।’

इस पोस्ट पर सबसे अधिक कमेंट्स में से एक गुमनाम, स्वयंभू ‘पूर्व स्टार्टअप सीईओ’ की तरफ से आया। पोस्ट लिखने वाले व्यक्ति से सहमति जताते हुए उन्होंने लिखा, “मैंने अक्सर स्टार्टअप फाउंडर्स द्वारा निवेशकों के पैसे को अपनी निजी जीवनशैली में लगाने के बारे में पोस्ट किया है और इस बात पर अफसोस जताया है कि हम ऐसे लोगों का जश्न मनाते हैं, क्योंकि हम सफलता को वैल्यूएशन और प्रमोटर की प्रोफाइल से जोड़ते हैं।’

हालांकि, उन्होंने अपना रुख तुरंत बदल लिया। जोमैटो के एक सार्वजनिक लिस्टेड कंपनी होने पर जोर देते हुए उन्होंने आगे कहा, “प्रमोटर के सैलरी और भत्ते बोर्ड और शेयरधारकों द्वारा स्वीकृत किए जा चुके हैं और सार्वजनिक डोमेन में हैं। अगर शेयरधारकों को इससे कोई समस्या नहीं है, तो हमें क्यों होनी चाहिए?”

किसी ने इस जवाब को “सबसे समझदारी भरा जवाब” बताया, तो किसी ने इस मामले पर अपनी राय दी। किसी ने थ्रेड में आगे कहा, “बोर्ड द्वारा स्वीकृत, लेकिन सभी शेयरधारकों द्वारा नहीं। आप बोर्ड से बाहर जाकर भी खरीद सकते हैं।” इसके बाद एक और जवाब आया, “बिल्कुल यह स्टार्टअप कल्चर की समस्या नहीं है। यह एक घोटाला कल्चर है और भारत में यह बहुत आम है।”