खान-पान के बिल में रेस्त्रां ‘सेवा शुल्क’ नहीं जोड़ सकते हैं। यह बात शुक्रवार (तीन जून, 2022) को केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने साफ की। उन्होंने इसके साथ ही बताया कि कस्टमर चाहें तो अपनी तरफ से ‘टिप’ दे सकते हैं। साथ ही अगर रेस्त्रां मालिक अपने कर्मचारियों को ज्यादा पगार देना चाहते हैं तो वे खान-पान उत्पादों के ‘मीन्यू कार्ड’ में दरें बढ़ाने के लिए आजाद हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि देश में खानपान की कीमतों पर कोई नियंत्रण नहीं है।
हालांकि, उन्होंने रेस्त्रां मालिकों की उस आशंका को खारिज कर दिया कि सेवा शुल्क हटाए जाने की स्थिति में उन्हें घाटा होने लगेगा। मंत्रालय ने उपभोक्ताओं से सेवा शुल्क की वसूली को अनुचित बताया है। इस बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा, “रेस्त्रां किसी बिल में अलग से सेवा शुल्क नहीं जोड़ सकते हैं। अगर आपको लगता है कि कर्मचारियों को कुछ अधिक लाभ देने हैं तो आप उसका बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाल सकते हैं। आप चाहें तो खानपान उत्पादों की दरें बढ़ा सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार को उपभोक्ताओं से लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि रेस्त्रां बिल में अलग से सेवा शुल्क भी लगा रहे हैं। उन्होंने कहा, “आप दरें बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन अगर कोई छिपी हुई लागत है तो लोगों को असली कीमत कैसे पता चलेगी।” वैसे, मंत्री ने कहा कि लोग रेस्तरां की सेवाओं से खुश होकर टिप देते रहे हैं और आगे भी वे ऐसा करना जारी रख सकते हैं।
दरअसल, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक दिन पहले यानी गुरुवार (दो जून, 2022) को रेस्त्रां संगठनों और उपभोक्ता समूहों के प्रतिनिधियों के साथ एक मीटिंग के बाद कहा था कि खानपान के बिल में सेवा शुल्क लगाने से रेस्त्रां को रोकने के लिए सरकार जल्द ही एक कानून लेकर आएगी। उपभोक्ता सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा था कि खानपान के बिल में सेवा शुल्क को जोड़ देना पूरी तरह अनुचित बर्ताव है। इसे रोकने के लिए सरकार एक कानूनी ढांचा लेकर आएगी। इसकी वजह यह है कि वर्ष 2017 के दिशानिर्देश कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं।
इस बीच, होटल उद्योग ने खानपान के बिल में सेवा शुल्क लेने से रोकने के लिए कानूनी व्यवस्था किए जाने की घोषणा को शुक्रवार को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया। साख ही कहा कि इससे उपभोक्ताओं को सेवा देने वाले आम कर्मचारियों के हितों को चोट पहुंचेगी। भारतीय राष्ट्रीय रेस्तरां संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष कबीर सूरी ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी कोई कानून नहीं बना है लिहाजा इस बारे में आने वाले प्रावधान का इंतजार किया जा रहा है।
बकौल सूरी, “सेवा शुल्क रेस्तरां में आने वाले मेहमानों को सेवा देने वाले कर्मचारियों के लिए होता है। इसे रेस्तरां में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के बीच बांट दिया जाता है। एक रेस्तरां मालिक के रूप में हम उसी राशि को खानपान वाले उत्पादों के बिल में जोड़ सकते हैं लेकिन फिर खाना परोसने वाले स्टाफ को कुछ नहीं मिलेगा।”