मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो, अनिल अंबानी के इंफ्राटेल की संपत्ति का अधिग्रहण करने वाली है। इसके लिए जियो को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) से रिलायंस इंफ्राटेल (RITL) के रिजॉल्यूशन प्लान की मंजूरी मिल गई है।

ये मंजूरी ऐसे समय में मिली है जब अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की अधिकतर कंपनियां बिक्री की प्रक्रिया से गुजर रही हैं। वहीं, अनिल के बड़े भाई मुकेश अंबानी के कारोबार का विस्तार हो रहा है। इसी साल अनिल अंबानी ने लंदन की एक अदालत में बताया था कि उनका नेटवर्थ जीरो है। वहीं, अनिल अंबानी के भाई मुकेश अंबानी की संपत्ति 75 बिलियन डॉलर से ज्यादा है। हाल ही में रिलायंस के जियो प्लेटफॉर्म को दुनियाभर के अलग-आलग देशों से निवेश मिला है।

जियो को क्या-क्या मिलेगा: रिलायंस इंफ्राटेल के देशभर में 43,000 टॉवर और 1,72,000 किलोमीटर की फाइबर लाइन हैं। मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो इस संपत्ति का अधिग्रहण करेगी। इसके जरिये कर्जदाता करीब 4.,000 करोड़ रुपए की रिकवरी कर सकेंगे। कर्जदाताओं की समिति की ओर से रिलायंस इंफ्राटेल (RITL) के रिजॉल्यूशन प्लान को 100 प्रतिशत मत मिले हैं।

बता दें कि अनिल अंबानी समूह की एक अन्य कंपनी रिलायंस कैपिटल पर भी आर्थिक संकट है। यही वजह है कि कंपनी के अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। 31 अक्टूबर, 2020 तक रिलायंस कैपिटल पर कर्ज करीब 20,000 करोड़ रुपये का था। रिलायंस समूह की अलग अलग कंपनियों पर कर्ज का बोझ है।

जियो के सामने भी आई चुनौती: देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो के सामने भी एयरटेल ने नई चुनौती पेश की है। दरअसल, महीने के आधार पर ग्राहकों को जोड़ने के मामले में एयरटेल ने जियो को पछाड़ दिया है। करीब 4 साल में पहली बार है जब जियो पिछड़ी है। आपको बता दें कि साल 2016 में जियो ने टेलीकॉम सेक्टर में दस्तक दी थी।

इसके बाद से कई टेलीकॉम कंपनियों ने कारोबार समेट लिया। वहीं, कुछ टेलीकॉम कंपनियों का विलय भी हो चुका है। टेलीकॉम सेक्टर में अब मुख्यतौर से रिलायंस जियो, एयरटेल के अलावा वोडा-आइडिया है। मोबाइल कनेक्शनों की संख्या के मामले में रिलायंस जियो 40.41 करोड़ ग्राहकों के साथ पहले स्थान पर है।