मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अब पूरी तरह से कर्जमुक्त हो गई है। भारत और एशिया के सबसे रईस शख्स मुकेश अंबानी ने कोरोना संकट के बीच कारोबारी जगत में 1.69 लाख करोड़ रुपये का निवेश हासिल कर परचम लहराया है। भले ही मुकेश अंबानी आज भारत और दुनिया में कारोबारी जगत में छा गए हैं, लेकिन एक दौर था, जब उनके छोटे भाई अनिल अंबानी दौलत के मामले में उनसे आगे थे। यह 2006 का दौर था, जब अनिल अंबानी अमीरों की लिस्ट के मामले में मुकेश अंबानी को पछाड़कर देश के तीसरे सबसे अमीर शख्स बन गए थे। अनिल अंबानी से आगे उस वक्त सिर्फ लक्ष्मी मित्तल और अजीम प्रेमजी थे।

2005 में दोनों भाईयों के बीच रिलायंस के कारोबारी साम्राज्य का बंटवारा हुआ था। उसके बाद अनिल अंबानी अपने बड़े भाई के मुकाबले 2007 तक आगे थे। लेकिन फिर धीरे-धीरे दोनों के बीच दौलत का अंतर घटता चला गया। फोर्ब्स की लिस्ट के मुताबिक 2007 में मुकेश अंबानी ने अनिल अंबानी को पीछे छोड़ा था। हालांकि तब भी अंतर बहुत ज्यादा नहीं था और मुकेश अंबानी की दौलत 49 अरब डॉलर थी, जबकि अनिल अंबानी की संपत्ति 45 अरब डॉलर थी। हालांकि अब 13 साल बाद दोनों भाई बिलकुल अलग दिशा में हैं।

एक तरफ मुकेश अंबानी 60.7 अरब डॉलर की दौलत के साथ कारोबार के शीर्ष पर है, जबकि पिछले दिनों अदालत में एक केस की सुनवाई के दौरान अनिल अंबानी ने अपनी नेटवर्थ जीरो बताई थी। वह अब अरबपतियों की सूची से ही बाहर हो गए हैं। दरअसल मुकेश अंबानी ने बीते कुछ सालों में वक्त के साथ अपने कारोबार को तेजी से बदला है। पेट्रोलियम बिजनेस के लिए मशहूर रिलायंस इंडस्ट्रीज अब रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल के जरिए टेक और रिटेल इंडस्ट्री की बड़ी कंपनी बन गई है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की फिलहाल सालाना 6 अरब डॉलर कमाई है। वहीं इस दौरान अनिल अंबानी तेजी से कारोबारी जगत में फिसल रहे हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग से लेकर पावर इंडस्ट्री तक में अनिल अंबानी को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके चलते उन पर काफी कर्ज है और अपनी कंपनियों तक को बेचकर वह इस लोन को भरने की कोशिश में जुटे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक मुकेश अंबानी ने लंबा वक्त अपने कारोबार के विस्तार में दिया है, जबकि अनिल अंबानी ने ऐसे कारोबार में निवेश किया, जिनमें तुरंत लाभ मिल सके। यहां तक कि अनिल अंबानी टेलिकॉम बिजनेस को भी नहीं चला सके, जो उस दौर में मुनाफे का कारोबार माना जाता था।