केंद्र सरकार की ओर से ग्रामीण इलाकों में गरीबों को प्रशिक्षित करने और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) का संचालन किया जाता है। इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों को ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों को प्रशिक्षण और रोजगार उपलब्ध कराने में सहायता के लिए लोन देने की व्यवस्था है। यह लोन बिना गारंटी दिया जाता है।
अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्वयं सहायता समूहों को दिए जाने वाले बिना गारंटी लोन की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपए तक कर दिया था। अभी तक इस स्कीम में स्वयं सहायता समूहों को 10 लाख रुपए तक का लोन मिलता था। आरबीआई की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक, स्वयं सहायता समूहों को 10 लाख रुपए तक के लोन पर ना तो कई गारंटी देनी होगी और ना ही कोई मार्जिन चार्ज लगेगा। आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि स्वयं सहायता समूह को लोन देते समय ना तो उनके बचत बैंक खाते को इससे जोड़ा जाए और ना ही उनसे खाते में पैसा जमा करने पर जोर दिया जाए।
10 लाख से कम लोन के बकाया पर भी मिलेगा लाभ: आरबीआई ने अपने सर्कुलर में कहा है कि 10 लाख से 20 लाख रुपए तक के लोन पर कोई गारंटी चार्ज नहीं वसूला जाना चाहिए। ना ही उनके बचत खाते को लोन से जोड़ा जाए। सर्कुलर में कहा गया है कि यदि स्वयं सहायता समूह पर मौजूदा लोन का 10 लाख रुपए से कम का बकाया है तो उन्हें भी इस बढ़ी हुई राशि का लाभ मिलेगा। केंद्र सरकार ने हाल ही में क्रेडिट गारंटी फंड फॉर माइक्रो यूनिट्स (CGFMU) स्कीम में हुए बदलावों को नोटिफाई किया है। इसके बाद ही आरबीआई ने लोन की राशि को बढ़ाने का सर्कुलर जारी किया है।
केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना है DAY-NRLM: दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना है। इस योजना का मकसद गरीबी में कमी लाना और गरीबों के लिए मजबूत संस्थानों का निर्माण करना है। इस योजना में खासतौर पर महिलाओं पर फोकस किया जाता है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों और महिलाओं को इन संस्थानों के जरिए वित्तीय सेवाएं और आजीविका उपलब्ध कराना है। इस योजना में स्वयं सहायता समूहों की मदद से वित्तीय सेवाएं और आजीविका के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करते हैं संचालन: दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का संचालन केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर करते हैं। यह योजना 2011 में शुरू की गई थी। ब्लॉक स्तर पर स्वयं सहायता समूहों के जरिए इस योजना के तहत गरीबों को वित्तीय संसाधन और आजीविका उपलब्ध कराई जाती है। इसमें ग्रामीणों को प्रशिक्षित करना भी शामिल है। इसमें प्रत्येक गरीब परिवार से कम से कम 1 महिला को स्वयं सहायता समूह में शामिल करने का लक्ष्य तय किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्र में उद्यमिता बढ़ाने पर फोकस: ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध ना होना बड़ी समस्या है। इस कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन करते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों से 1000 व्यक्तियों में से 26 व्यक्ति शहरों की ओर पलायन करते हैं। इस योजना में पलायन को रोकने और ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ाने पर फोकस किया गया है।