भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिए खुदरा महंगाई के मोर्चे पर मामूली राहत के संकेत दिए हैं। साथ ही, ब्याज दरों को जस का तस रखा है। आरबीआइ ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए गुरुवार को अप्रत्याशित रूप से नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 फीसद पर बरकरार रखा।

आरबीआइ के इस कदम से वाहन, मकान और अन्य ऋ णों पर ब्याज दर में बढ़ोतरी के रुख पर लगाम लगेगी। साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को मामूली बढ़ाकर 6.5 फीसद कर दिया है।आरबीआइ ने खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान मामूली घटाकर 5.2 फीसद कर दिया। हालांकि रिजर्व बैंक ने यह माना कि प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ने से मुद्रास्फीति के मामले में भविष्य में जोखिम पैदा हो सकता है। फरवरी में हुई पिछली मौद्रिक समीक्षा में मुद्रास्फीति के 5.3 फीसद पर रहने का अनुमान लगाया गया था।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2023-24 की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक के कच्चे तेल के उत्पादन को घटाने के फैसले से मुद्रास्फीति का परिदृश्य गतिशील बना हुआ है। दास ने कहा कि सामान्य मानसून के बीच यदि कच्चे तेल के दाम औसतन 85 डालर प्रति बैरल पर रहते हैं तो चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 फीसद रहेगी।

जून तिमाही में मुद्रास्फीति के 5.1 फीसद पर रहने का अनुमान है। सितंबर और दिसंबर तिमाही में यह बढ़कर 5.4 फीसद पर पहुंच सकती है। उसके बाद मार्च, 2024 की तिमाही में इसके फिर से घटकर 5.2 फीसद पर आने का अनुमान है। दास ने कहा कि जब तक मुद्रास्फीति संतोषजनक दायरे में नहीं आती है, केंद्रीय बैंक की इसके खिलाफ ‘लड़ाई’ जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि रबी फसल का उत्पादन जबरदस्त स्तर पर पहुंचने का अनुमान है जिससे खाद्य वस्तुओं के दाम नरम होंगे।

दूसरी ओर, आरबीआइ ने नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 फीसद पर बरकरार रखा। आरबीआइ के इस कदम से वाहन, मकान और अन्य ऋणों पर ब्याज दर में बढ़ोतरी के रुख पर लगाम लगेगी। नीतिगत दर नहीं बढ़ाने का निर्णय बाजार की उम्मीद से ज्यादा है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को मामूली बढ़ाकर 6.5 फीसद कर दिया है। पहले इसके 6.4 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया था।

आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए दास ने कहा, ‘रबी फसल का उत्पादन 2022-23 में 6.2 फीसद बढ़ने का अनुमान है। अनुकूल मांग स्थिति और नए कारोबार के लाभ के साथ पीएमआइ (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स) विनिर्माण और पीएमआइ सेवा में विस्तार जारी है। वाहनों की बिक्री, क्रेडिट कार्ड से खर्च फरवरी में मजबूत रहा।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि, वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए जोखिम भी बना हुआ है।’ दास ने कहा, ‘इन सबको देखते हुए चालू वित्त वर्ष में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2023-24 में 6.5 फीसद रहने का अनुमान है।’ उन्होंने कहा कि देश की वास्तविक यानी स्थिर मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर 2022-23 में सात फीसद रहने का अनुमान बना हुआ है।